रोटी बेलने वाले पति को (नहीं नहीं, पटे को) तो सभी जानते हैं। यह ऊपर से गोल होता है परंतु इसका तला यानी आधार ट्राइपॉड होता है। जिसके 3 पैर होते हैं जिस पर चकला टिका होता है। सवाल यह है कि जब कुर्सी के चार पैर होते हैं तो फिर रोटी बेलने वाले पटे (चकले) का तला ट्राईपॉड क्यों होता है। इसके पीछे का लॉजिक क्या है।
भारतीय इंजीनियरिंग का एक बेहतरीन उदाहरण
रोटी बेलने वाला पटा भारतीय इंजीनियरिंग का एक बेहतरीन उदाहरण है। रोटी बेलते समय पटे पर काफी ताकत लगती है। ऐसी स्थिति में इसका ताला ठोस होना चाहिए ताकि वह ज्यादा से ज्यादा प्रेशर को सहन कर सके। रोटी बेलने वाले पटे के नीचे चार पैर भी लगाए जा सकते थे। लगाने में किसी तरह की परेशानी नहीं है। ऐसा भी नहीं है कि एक पैर बचाकर कुछ पैसा बचाया जाता हो। आप देखेंगे कि बाजार में कुछ पटों में 4 पैर होते हैं और कुछ बुद्धिजीवी इन्हें खास तौर से खरीदते हैं।
रोटी वाले पटे में 3 पैर का लॉजिक बताओ
सरल शब्दों में समझिए। 3 पैर मिलकर एक त्रिकोण बनाते हैं। और यह बताने की जरूरत नहीं कि त्रिकोंण दुनिया की सबसे ताकतवर आकृति है। कैमरे वाले स्टैंड के तीन पैर (tripod — ट्राईपॉड = त्रिपदा) तो आपने देखे ही होंगे। अब आप थोड़ा ध्यान से सोचिए, यह ट्राइपॉड आपको हर उस चीज के नीचे दिखाई देगा जिसे स्थिर रखना जरूरी है। पटे के नीचे 3 पैर उसे उस समय स्लिप होने से रोकते हैं जब मम्मी लोई पर बेलन से प्रेशर बनाकर उसे रोटी बनाने की कोशिश कर रही होती हैं। यदि आप पटे के तले कोठोस समतल या 4 पैरों वाला कर देंगे तो सोचिए मम्मी कितनी परेशान होंगी और रोटियां भी अच्छी नहीं बन पाएंगी। इंजीनियर बेटा ऐसा कैसे होने दे सकता हैै। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article
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