भोपाल। सपाक्स की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया है कि मप्र शासन शीघ्र ही आरक्षण के प्रावधानों के साथ नए पदोन्नति नियम लागू करने जा रहा है। हालांकि आधिकारिक रूप से सरकार द्वारा न तो इस संबंध में सपाक्स से कोई सुझाव आमंत्रित किए गए न ही उनके पक्ष को जानने की कोई कोशिश की गई।
दिनांक 27.05.21 को प्रांतीय कार्यकारिणी द्वारा प्रस्तावित नियमों के जिस ड्राफ्ट का खुलासा हुआ है उस पर गंभीरता से चर्चा की गई। प्रस्तावित नियमों के प्रारंभिक अवलोकन से यह स्पष्ट होता है कि मा उच्च न्यायलय जबलपुर के आदेश को दरकिनार कर नियम अनुसूचित जाति/ जनजाति वर्ग को अनुचित लाभ दिए जाने की मंशा से बनाए जा रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि मा उच्च न्यायालय द्वारा एम नागराज प्रकरण में पदोन्नति में आरक्षण के लिए मा सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित मार्गदर्शी सिद्धांतों की पूर्ण अवहेलना किए जाने और पदोन्नति नियम 2002 इन सिद्धांतों के अनुसार न पाए जाने के कारण खारिज किए थे। वर्ष 2016 में मा उच्च न्यायालय जबलपुर के निर्णय के बाद पदोन्नति में आरक्षण के प्रकरणों में मा सर्वोच्च न्यायालय की मा मुख्य न्यायधीश की अधक्षता में गठित 5 सदस्यीय पीठ ने क्रीमीलेयर को लागू कर अपात्रों को आरक्षण के लाभ से वंचित करने के निर्देश वर्ष 2018 में दिए थे। मा पीठ के उक्त निर्देशों का न तो कोई संज्ञान लिया गया न ही नियमों में इस संबंध में कोई प्रावधान किया गया।
उपरोक्त महत्वपूर्ण तथ्य को नजरंदाज करते हुए नए नियमों में उपयंत्री से सहायक यंत्री और सहायक यंत्री से कार्यपालन यंत्री पद के लिए पदोन्नति हेतु "योग्यता सह वरिष्ठता" का नया प्रावधान नियमों में जोड़ दिया जो न केवल पूरी तरह असंगत है और इन प्रारंभिक निचले स्तर के पदों के लिए कतई अनुचित है। यह अनुसूचित जाति/ जनजाति वर्ग को अनुचित फायदा देने की नियत से किया गया है।
बैठक में संस्था अध्यक्ष श्री के एस तोमर, संस्थापक सदस्य श्री अजय जैन, सचिव श्री राजीव खरे, उपाध्यक्ष श्री गुर्जर, श्री देवेन्द्र भदौरिया, श्रीमती रक्षा दुबे, कोषाध्यक्ष श्री नायक, डा एस के श्रीवास्तव, सक्रिय सदस्य श्री भटनागर, मीडिया प्रभारी श्री अभिषेक तिवारी एवं अन्य कार्यकारिणी सदस्य उपस्थित रहे।