भारत की संसद में दो सदन है। एक लोकसभा और दूसरा राज्यसभा। लोकसभा में आम जनता द्वारा चुने गए सांसद बैठते हैं और भारत की जनता के हित में फैसले लेते हैं एवं कानून बनाते हैं। सवाल यह है कि दूसरे सदन की जरूरत क्या है। राज्यसभा की उपयोगिता और महत्व क्या है।
भारत में राज्यसभा का गठन क्यों, दो सदनों की आवश्यकता क्यों
भारत एक लोकतांत्रिक देश है, जो कई राज्यों से मिलकर बना हुआ है। लोकतंत्र से तात्पर्य जनता द्वारा चुनी गई सरकार के माध्यम से देश का संचालन करना। जनता अपने क्षेत्र के सांसद को चुनती है जो लोकसभा का सदस्य होता है। राज्यसभा के सदस्य को जनता नहीं चुनती लेकिन जनता द्वारा चुने गए विधायक जनता की तरफ से मतदान करके राज्यसभा के सदस्य का चुनाव करते हैं। अपने प्रश्न का उत्तर चुनाव की प्रक्रिया में मौजूद है। राज्यसभा का सदस्य जिसे सांसद के समकक्ष दर्जा दिया गया है, संसद में राज्य का प्रतिनिधि होता है। राज्यसभा के सदस्य इस बात की निगरानी रखते हैं कि केंद्र सरकार यानी लोकसभा राज्य सरकारों के हितों को नुकसान पहुंचाने वाले फैसले ना कर पाए।
राज्यसभा की उपयोगिता और महत्व क्या है
राज्यसभा में आम जनता में लोकप्रिय नेता नहीं बल्कि विषयों के विशेषज्ञों को चुना जाता है।
लोकसभा जब भी कोई कानून बनाती है तो उसे राज्यसभा से पारित करवाना जरूरी होता है ताकि उस कानून को राजनीति के अलावा एक दूसरे नजरिए से भी देखा जा सके।
लोकसभा में लोकप्रिय पार्टी के सांसदों की संख्या सबसे ज्यादा होती है। ऐसी स्थिति में मनचाहे संविधान संशोधन का खतरा पैदा हो जाता है। राज्यसभा इस खतरे का समाधान है। राज्यसभा की मंजूरी के बिना संविधान में संशोधन नहीं हो सकता।
राज्यसभा के माध्यम से लोकतंत्र में शक्ति के संतुलन की कोशिश की गई है।
एक सदन में लोकप्रिय नेता होते हैं और दूसरे सदन में विशेषज्ञ। दोनों ही देश के विकास के लिए महत्वपूर्ण माने गए हैं। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article
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