ग्वालियर। मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले में आपात स्थिति में रक्त उपलब्ध कराने वाले चलते-फिरते ब्लड बैंक यानी राजेश मारवाड़ी उर्फ लाला भैया अब नहीं रहे। खुद 119 बार रक्तदान करने वाले इस सेवाभावी सराफा कारोबारी को कोरोना ने हमसे छीन लिया है। उनके देहांत से हर शहरवासी, समाजसेवी व व्यापारी वर्ग शाेकमग्न है।
रोटरी क्लब रीगल ग्वालियर के अध्यक्ष सुधीर त्रिपाठी ने बताया कि लाला भैया शहर में मौजूद करीब 230 थैलीसीमिया से पीड़ित बच्चों का सहारा थे। लंबे समय से उन्हें रक्त उपलब्ध कराने के काम में लगे लाला भैया को यह याद हो गया था कि किस बच्चे का कौन सा ब्लड ग्रुप है। रेयर ब्लड ग्रुप की उपलब्धता भी वह सुनिश्चित कर देते थे। शहर के कई ऐसे लोगों को भी उन्होंने रक्त उपलब्ध कराया, जिनके मरीज देश के अन्य राज्यों में इलाज के लिए भर्ती हुए। जो अब लाला भैया के सद्कर्मों को याद कर श्रद्धासुमन अर्पित कर रहे हैं।
कैट के प्रदेशाध्यक्ष भूपेंद्र जैन ने बताया कि कोरोना संक्रमित होने के बाद विगत कुछ दिनों से उनका ग्वालियर के एक निजी अस्पताल में उपचार चल रहा था। एक-दो दिन उनकी हालत कुछ ज्यादा ही नाजुक हो गई थी। उनके प्रशंसक, सामाजिक कार्यकर्ता, नगर के रक्तसेवक और उनके सेवाभाव से वाकिफ सभी लोग उनके शीघ्र स्वास्थ्य लाभ के लिए चिंतित थे व ईश्वर से कामना र रहे थे। मगर लाला भैया हजारों चाहने वालों को रोता बिलखता छोड़कर चले गए। मारवाड़ी मात्र 15 वर्ष की आयु से रक्तदान सेवा अभियान से जुड़े थे।
थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों के अभिभावक तो उन्हें भगवान समान मानते थे। थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चों को हर महीने रक्त की जरूरत होती है। राजेश मारवाड़ी ने अपनी कोई संस्था तो नहीं बनाई और न अपने सेवाभावी कार्यों के प्रचार प्रसार के प्रयत्न किए, लेकिन उनके काम की खुशबू से पूरा शहर वाकिफ है।
8 अगस्त 1968 को जन्मे राजेश मारवाड़ी ने नई परिपाटी शुरू की थी। वे अपने मित्रों, परिचितों व शुभचिंतकों से जन्मदिन, शादी की सालगिराह आदि शुभ अवसरों पर रक्तदान कराते थे। जेएएच ब्लडबैंक, रेडक्रॉस, बिडला हॉस्पीटल्स ब्लड बैंक एवं कम्पू स्थित इमरजेंसी ब्लडबैंक के जरिए उनका सेवा अभियान अनवरत चलता था। यही कारण है कि चिकित्सक भी उनका सम्मान करते हैं। बीते साल 27 सितंबर को कैंसर पहाड़ी पर आयोजित कार्यक्रम में नगर के वरिष्ठ चिकित्सकों ने रक्तदान के क्षेत्र में उनके द्वारा किए कार्यों के लिए सम्मानित किया था।