ग्वालियर। भारत के मध्य में स्थित ग्वालियर शहर के नजदीक मुरैना जिले की सीमा में पहाड़ के अंदर 1200 साल पुराना शहर मिला है। इस शहर में करीब 100 मकानों की पुष्टि हो गई है। यह शहर किसने बसाया था, कौन लोग यहां रहते थे, किस तरह इस शहर पर पहाड़ बन गया। तमाम सवालों के जवाब पता करना अभी शेष है। पुरातत्व विभाग की टीम कोरोनावायरस का संक्रमण खत्म हो जाने के बाद यहां खुदाई करेगी और सभी सवालों के उत्तर तलाश करेगी।
1200 year old city of India found inside a mountain
श्री अनिल पटेरिया की एक रिपोर्ट के अनुसार ग्वालियर के कुछ पुरातत्व विशेषज्ञ एवं पत्रकार इस स्थान तक पहुंचे और जानकारियां एकत्रित की। श्री पटेरिया की रिपोर्ट के अनुसार यह स्थान ग्वालियर शहर से 25 किलोमीटर दूर इंडस्ट्रियल एरिया मालनपुर के पास स्थित है जो वर्तमान में मुरैना जिले की सीमा में आता है। नरेश्वर नामक इस स्थान पर U आकार की पहाड़ियों के बीचो बीच पूरा शहर होने के प्रमाण मिले हैं।
1200 years old history of Madhya Bharat
इस प्राचीन शहर में टीलों के नीचे दबे पत्थरों के 14 से 15 फीट ऊंचाई वाले दो मंजिला मकानों के अवशेष मौजूद हैं। इनमें रसद और कीमती सामान को सुरक्षित रखने के लिए दीवार में ही तिजोरीनुमा गुप्त स्थान और छत पर आने-जाने के लिए सीढ़ियां भी दिखती हैं। मकानों के पीछे बरसाती नदी और बस्ती से कुछ दूरी पर बड़े तालाब की संरचना भी है, जो यहां प्राचीन नगरीय सभ्यता के आधार पर बसाहट की गवाही देते हैं।
रिसर्च करने गई टीम को क्या-क्या मिला
नगर में आने-जाने के लिए प्रवेश द्वार भी बना था। यहां पर दो खंभे नजर आते हैं।
यहां 4 फीट चौड़ी सुरक्षा दीवार भी है।
घरों के अंदर रात्रि के वक्त उजाला करने के लिए आले बने हुए हैं।
पहाड़ी पर पान की खेती होती थी, इसके अवशेष भी मौजूद हैं।
यहां तालाब भी बना है।
केंद्र सरकार को अध्ययन करवाना चाहिए
ग्वालियर-चंबल क्षेत्र पुरा संपदा के मामले में काफी संपन्न है। केंद्र सरकार को नरेश्वर मंदिरों के पास टीलों में दबे अवशेषों के लिए पुरातत्व के साथ मानव जाति के विज्ञान अध्ययन कराना चाहिए। -केके मोहम्मद (सेवानिवृत डायरेक्टर एएसआई)
कुंडलपुर में महाभारत के अवशेष, बटेश्वर में टीलों के अंदर से मंदिर निकले थे
साल 1996-97 में एएसआई ने मुरैना जिले के कुंतलपुर में खुदाई कराई थी। यहां पर महाभारत कालीन अवशेष मिले थे।
2005 बटेश्वर स्थल पर टीलों में ऐतिहासिक मंदिर मिले थे। इनका कुछ मलबा ऊपर ही दिखता था। इन्हें सहेजकर 100 शिव मंदिर स्थापित कर दिए गए हैं।
कोरोना के बाद टीम भेजेंगे
नरेश्वर के मंदिर राष्ट्रीय संरक्षित स्मारक हैं। यदि यहां पर पुराने मकान टीलों में दिख रहे हैं, तो कोरोना संक्रमण खत्म होने के बाद टीम को सर्वे के लिए भेजेंगे। इसके बाद एएसआई के खुदाई व अन्य काम होंगे। -पीयूष भट्ट, अधीक्षक पुरातत्वविद भोपाल मंडल एएसआई