ग्वालियर। मध्य प्रदेश के ग्वालियर काे संगीत के क्षेत्र में विश्व पटल पर जल्द ही नई पहचान मिल सकती है। यह पहचान यूनेस्काे की क्रिएटिव सिटीज नेटवर्क की संगीत श्रेणी में ग्वालियर काे संगीत शहर के ताैर पर शामिल किए जाने की है। इस सिलसिले में शनिवार काे यहां जिला प्रशासन की भोपाल के साथ एक वर्चुअल बैठक होगी। बैठक में चर्चा के बाद पयर्टन विभाग इस संबंध में केंद्र सरकार काे सप्ताह भर में प्रस्ताव भेजेगा।
ग्वालियर संगीत की परंपरा सदियों पुरानी है। यहां ध्रुपद संगीत परंपरा का आविष्कार हुआ। ख्याल गायन की परंपरा को देश-विदेश तक पहुंचाया। सिंधिया राजवंश के समय गुरु-शिष्य परंपरा की शुरुआत हुई जो निरंतर आगे बढ़ रही है। हस्सू खां, हद्दू खां के दादा उस्ताद नत्थन पीरबख्श ने ध्रुपद गायन को बढ़ाया। इसी परंपरा में तानसेन, बैजू बाबरा सहित कई संगीतज्ञ हैं, जिन्होंने ग्वालियर को संगीत नगरी के रूप में पहचान दी। यहां हर साल अखिल भारतीय स्तर का तानसेन संगीत समारोह यहां होता है।
केंद्र सरकार काे प्रस्ताव भेजने के बाद यदि सब कुछ ठीक रहा ताे विश्व शहर दिवस काे यूनेस्काे ग्वालियर काे संगीत शहर की श्रेणी में शामिल हाेने की घाेषणा कर सकता है। ऐसा हुआ ताे इस श्रेणी में चैन्नई और वाराणसी के बाद ग्वालियर देश का तीसरा और प्रदेश का पहला शहर हाेगा। संभागीय आयुक्त आशीष सक्सेना ने इस संबंध में कहा- हमें तैयारी करने काे कहा गया है। शनिवार की बैठक इसी सिलसिले में है। ग्वालियर यूनेस्काेे की सूची में शामिल हाेता है ताे यहां के संगीत की विश्व स्तर पर ब्राडिंग हाेगी।
यूनेस्काे क्रियेटिव सिटीज नेटवर्क के पास हम ग्वालियर को संगीत का शहर बनाने का प्रस्ताव भेज रहे हैं। इससे ग्वालियर व यहां के संगीत की ब्रांडिंग होगी और विश्व में पहचान मिलेगी। ऐसे शहर आपस में साझेदारी करते हैं और विश्व सम्मेलनों में हिस्सेदारी भी। इस तरह की पहचान वाला ग्वालियर मध्यप्रदेश का पहला शहर होगा। विश्व के लोग भी ग्वालियर के संगीत की प्रसिद्धि को जान सकेंगे।
शिव शेखर शुक्ला, प्रमुख सचिव पर्यटन विभाग