इंदौर। मध्य प्रदेश के इंदौर में चिकित्सकों के मुताबिक अभी तक 200 से अधिक लोगों को ब्लैक फंगस इंफेक्शन हो चुका होगा। हालांकि अभी इसका अधिकृत आंकड़ा स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन के पास नहीं है लेकिन प्रशासन चिकित्सकों के सहयोग से इसका सटीक डाटा जुटाने की कोशिश कर रहा है।
नेत्र रोग विशेषज्ञ डा.ओपी अग्रवाल के मुताबिक ऐसे मरीज जो अभी तक होम आइसोलेशन में थे, जिन्होंने स्टेराइड्स या अन्य इंजेक्शन नहीं लिए उनमें भी ब्लैक फंगस संक्रमण देखने को मिल रहा है। ऐसे में यह स्पष्ट हुआ है कि कोविड संक्रमित मरीजों को ही यह संक्रमण हो रहा है और जिन्हें मधुमेह है उन्हें संक्रमण ज्यादा हो रहा है।
एमवाय अस्पताल में 10 दिन में ब्लैक फंगस संक्रमण के 16 मरीज इलाज के लिए पहुंचे हैं, इनमें से तीन की आंखें सर्जरी कर निकालनी पड़ी। एमवायएच की पांचवी मंजिल पर बने वार्ड-28 में अभी 15 मरीजों को भर्ती करने की सुविधा है। इसे 21 तक किया जा सकेगा। मेडिसीन विभाग के एचओडी डा.वीपी पांडे के मुताबिक अभी इस वार्ड में मेडिसीन, नेत्र रोग, नाक-कान-गला रोग व न्यूरोलाजी विभाग की टीम मौजूद है, जो ब्लैक फंगस संक्रमण वाले मरीजों को संयुक्त रूप से इलाज कर रही है।
ब्लैक फंगस इंफेक्शन होने पर एंटी फंगल इंजेक्शन एम्फोटेरिसन-बी लगता है। 10 से 15 दिन तक प्रतिदिन चार से पांच इंजेक्शन लगते हैं। संक्रमण के मरीज बढ़ने के कारण यह इंजेक्शन भी आसानी से बाजार में नहीं मिल रहा है। आमतौर पर यह इंजेक्शन तीन से सात हजार रुपये में मिलता है। ऐसे में 15 दिन तक चार से पांच इंजेक्शन लगने पर ढाई से तीन लाख रुपये खर्च हो जाते हैं।
अब इस इंजेक्शन की उपलब्धता नहीं होने के कारण इसकी भी कालाबाजारी होने लगी है। क्वालिटी ड्रग हाउस के संचालक मकरंद शर्मा के मुताबिक पहले जहां सालभर में दो हजार एंटी फंगल इंजेक्शन की मांग रहती थी वहीं अब एक दिन में इतने इंजेक्शन की मांग आ रही है। इसलिए बाजार में आसानी से उपलब्ध नहीं है। एक-दो दिन में उपलब्ध हो पाएंगे।
डा.पांडे के मुताबिक देखने में आया है कि जिन कोविड मरीजों को स्टेराइड्स व टासलीजुबैम (टोसी) इंजेक्शन दिया गया उनमें इस संक्रमण का खतरा ज्यादा होता है। इसी कारण सभी चिकित्सकों को सलाह दी गई है कि मरीजों को कोविड इलाज के दौरान ज्यादा स्टेराइड्स न दें और जरुरी होने पर ही टासलीजुबैम इंजेक्शन दें।