इंदौर। कोरोनावायरस से संक्रमित होकर वापस स्वस्थ हुए वयस्क नागरिकों में ब्लैक फंगस के मामले देखे जा रहे हैं लेकिन बच्चों में एक नई समस्या आई है। अरविंदो अस्पताल में भर्ती हुए 12 COVID पॉजिटिव बच्चे स्वस्थ हो गई थी लेकिन फिर उनमें मल्टी सिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम पाया गया और 4 बच्चों की दुखद मृत्यु हो गई।
MIS-C: मल्टी सिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम इन चिल्ड्रंस क्या है
अरविंदो हॉस्पिटल के एक्सपर्ट के अनुसार मल्टी सिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम कोई बीमारी नहीं है, बल्कि ये लक्षणों पर आधारित एक सिंड्रोम है। इसमें बच्चों के फेफड़ों, दिल, पाचन तंत्र, गुर्दे, त्वचा, मस्तिष्क और आंखों में इंफेक्शन और सूजन देखी गई है। इंदौर के अरबिंदो मेडिकल कॉलेज के संचालक डॉ. विनोद भंडारी ने बताया कि अस्पताल के पीडियाट्रिक सेक्शन में कोरोना का इलाज करते बच्चों के बीच कुछ ऐसे बच्चे आए, जिनमें या तो कोरोना के लक्षण नहीं थे या फिर उनके माता-पिता लक्षणों को नहीं समझ पाए।
अस्पताल के डॉक्टरों ने जब इन बच्चों की जांच की तो उन्हें MIS-C यानी मल्टी सिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम इन चिल्ड्रंस के लक्षण नजर आए। इस सिंड्रोम का शिकार हुए बच्चों में लगातार बुखार देखा गया और कोरोना के माइल्ड सिम्टम यानी सिरदर्द, हलकी सर्दी-खांसी जैसे लक्षण नजर आए। इसके बाद इन बच्चों को अस्पताल में भर्ती कराया गया। उनमें से कुछ बच्चों की कोविड टेस्ट रिपोर्ट निगेटिव आई, लेकिन इन बच्चों के एंटीबॉडी टेस्ट कराए गए तो इनमें एंटीबॉडी पाई गई, यह बच्चे इतनी गंभीर बीमारी के शिकार हो गए कि उनका इलाज जीवन रक्षक दवाइयों से करना पड़ा। ऐसे ही कारणों के साथ भर्ती हुए 12 बच्चों में से 4 बच्चों को बचाया नहीं जा सका।
पिछली बार बच्चों को भर्ती करने की नौबत कम आई थी
एमवाई अस्पताल के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टर हेमंत जैन का कहना है कि दूसरी लहर में 10 से 20% तक बच्चों में यह संक्रमण मिल रहा है। हालांकि बड़ों की अपेक्षा बच्चों में मृत्यु दर कम देखी जा रही है। बच्चे वर्तमान में संक्रमण के बाद जल्द ठीक हो रहे है। लेकिन इस बीमारी से उनके हार्ट, लंग, किडनी और आंत सभी प्रभावित हो रहे हैं, जिससे बच्चे शॉक में चले जाते है।