इंदौर। मध्य प्रदेश में सूरत के मोरबी में बने ग्लूकोज-नमक के नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन से अब तक 10 मौत हो चुकी हैं। विजय नगर पुलिस के पास पांच परिवार के लोग अब तक इसमें शिकायतें भी कर चुके हैं। मंगलवार को आर्मी में पदस्थ एक सूबेदार ने भी पिता व दोस्त की मां की मौत नकली इंजेक्शन से होने के बाद विजय नगर थाने पहुंचकर आरोपियों के खिलाफ कथन दिए।
विजय नगर टीआई तहजीब काजी ने बताया सूबेदार शेरसिंह राजपूत निवासी बड़वाह ने बताया कि कोरोना संक्रमण से पिता नाना सिंह पल की तबीयत बिगड़ने के बाद उन्हें बड़वाह के दादा दरबार हॉस्पिटल में भर्ती किया था। डॉक्टर्स ने उन्हें रेमडेसिविर इंजेक्शन लगाने की सलाह दी। मैंने 21 अप्रैल को दवा बाजार के कारोबारी व प्रकरण के आरोपी रहे गौरव केसवानी से 36 हजार में 3 इंजेक्शन खरीदे थे। इसमें से दो इंजेक्शन पिता को डॉक्टरों ने लगा दिए, लेकिन पिता की मौत हो गई।
एक इंजेक्शन बचा तो वह 22 अप्रैल को मेरे दोस्त अनिल ने कोरोना संक्रमित अपनी मां मां संतोषबाई को लगाने के लिए उसी रेट में ले लिया। इंजेक्शन लगने के बाद अगले दिन उनकी भी मौत हो गई। अखबारों में उक्त नकली इंजेक्शन को लेकर जानकारी लगी तो बैच नंबर (246039-ए) के ही इंजेक्शन हमने लेने चेक किए। अब तक ग्लूकोज-नमक के नकली इंजेक्शन से 10 लोगों की मौत का आंकड़ा सामने आ चुका है।
डॉक्टर को शंका हुई थी
विजय नगर पुलिस ने यूनिवर्सल हॉस्पिटल के ड्यूटी डॉक्टर अजय जैन को भी कथन के लिए थाने बुलाया। उन्होंने गुलाबबाग कॉलोनी निवासी विनोद पाटिल को नकली इंजेक्शन परिजन द्वारा लाए जाने पर लगा दिया था।
डॉ. जैन ने पुलिस को बताया कि पाटिल को जो इंजेक्शन परिजन ने लाकर दिया वह ठीक से डायल्यूट नहीं हुआ था। इस पर शंका हुई, लेकिन बॉक्स व वायल देखने पर नकली होने का आभास नहीं कर सके। हम भी मरीजों की तकलीफ में ध्यान नहीं दे सके और इंजेक्शन उन्हें लग गया। कुछ घंटों बाद ही उन्होंने दम तोड़ दिया था।