जबलपुर। मध्य प्रदेश के जबलपुर शहर में म्यूकोरमाइकोसिस यानी ब्लैक फंगस के मामले अब बढ़ने लगे हैं। मेडिकल कॉलेज के आर्थोपेडिक वार्ड में 15 बेड की म्यूकोरमाइकोसिस यूनिट शुरू की गई है, जिसमें ब्लैक फंगस के शिकार मरीजों को रखा जा रहा है। मेडिकल कॉलेज प्रबंधन द्वारा अब 15 मामलों की पुष्टि की गई है, वर्तमान में 10 एक्टिस केस हैं, जिनका इलाज किया जा रहा है। इनमें 4 का ऑपरेशन गुरुवार को ही किया गया है।
निजी अस्पतालों में भी इस बीमारी के मामले रिपोर्ट हो रहे हैं, हालाँकि इनकी संख्या कितनी है, इसकी पुष्टि नहीं हो सकी है। ब्लैक फंगस के चलते मेडिकल कॉलेज में ही 4 मौतें हो चुकीं हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना से ठीक हो चुके या ठीक हो रहे मरीजों में म्यूकोरमाइकोसिस होने का खतरा सबसे ज्यादा होता है, क्योंकि कोरोना के ट्रीटमेंट के दौरान स्टेराॅयड आदि देने से मरीज की शुगर बढ़ जाती है, जो ब्लैक फंगस होने का बड़ा कारण है। बीमारी इतनी खतरनाक है कि लोगों की जान बचाने के लिए उनके शरीर के अंग तक काटकर निकालने पड़ सकते हैं।
मेडिकल कॉलेज में ईएनटी विभागाध्यक्ष डॉ. कविता सचदेवा ने बताया कि मेडिकल कॉलेज में ब्लैक फंगस के ट्रीटमेंट के लिए चिकित्सकों की टीम तैयार है और मरीजों का इलाज शुरू भी कर दिया गया है। ब्लैक फंगस के मरीजों की सर्जरी के लिए दूसरे शहरों से भी मरीज के परिजन और अस्पताल संपर्क कर रहे हैं।
हमारी स्ट्रेटजी में सबसे पहले प्रिवेंशन यानी कि बीमारी को होने से रोकना और अगर बीमारी हो गई है तो शुरुआती स्टेज में ही डिटेक्ट कर उसे ठीक करना शामिल है। उन मरीजों को सतर्क रहने की जरूरत है, जो लंबे वक्त से डायबिटीज से जूझ रहे हैं।
विशेषज्ञों के अनुसार इसे शुरुआती दौर में ही डिटेक्ट करना जरूरी है, नहीं तो यह नाक से शुरू होकर आँखों और फिर दिमाग तक पहुँच जाता है। आँखों की रोशनी जा सकती है या फिर शरीर के जिस हिस्से में ये फंगस फैला है शरीर का वो हिस्सा बुरी तरह सड़ सकता है। ये फंगस एक मरीज से दूसरे मरीज में नहीं फैलता है।
ब्लैक फंगस के लक्षणों से पहचानें
सिरदर्द, नाक बंद होना, उल्टी आना, साइनस कंजेशन, चेहरे का एक तरफ से सूज जाना,मुँह के ऊपरी हिस्से या नाक में काले घाव होना, चेहरे पर झुनझुनी आना, दाँत सुन्न होना,तालू पर छाला होना,
क्या करना चाहिए
कोरोना ठीक होने के बाद भी रेग्युलर हेल्थ चैकअप कराएँ, खास तौर पर शुगर की जाँच।
फंगस से कोई भी शुरुआती लक्षण दिखें तो तत्काल ट्रीटमेंट लें।
अपने गले और नाक को सूखने न दें। पेय पदार्थ गले को तर रखेंगे, नाक में तेल लगा सकते हैं।
आस-पास साफ-सफाई और हाइजीन मेनटेन रखें।
मेडिकल कॉलेज में जहाँ पूरे साल में बमुश्किल 20 मरीजों को इसकी जरूरत होती थी, अब कुछ ही दिनों में इतने ही मरीज सामने आ रहे हैं। प्रबंधन द्वारा कॉलेज में इंजेक्शन्स की आपूर्ति के लिए प्रशासन को जानकारी भेजी गई है।
हमने दो दिन पूर्व ही मेडिकल कॉलेज में पुरानी बिल्डिंग के सेकेंड फ्लोर पर आर्थोपेडिक वार्ड में 15 बेड का वार्ड म्यूकोरमाइकोसिस के लिए तैयार कर लिया था। चिकित्सकों की टीम में ईएनटी डिपार्टमेंट के साथ 7 अन्य डिपार्टमेंट शामिल हैं।
डॉ. पीके कसार, अधिष्ठाता, मेडिकल कॉलेज