भेड़ाघाट को संगमरमरीय सौंदर्य और शानदार झरनों के लिए ही जाना जाता है, साथ ही धुआंधार जलप्रपात चमकती हुई मार्बल की (संगमरमर की) 100 फीट ऊंची चट्टनों के लिए भी पर्यटकों के बीच प्रसिद्ध है। नर्मदा नदी इन संगमरमर की चट्टानों के मध्य से धीरे-धीरे बहती है और थोड़ी दूर जाकर धुंआधार के रूप में प्रसिद्ध एक झरने में मिल जाती है।
भेड़ाघाट जबलपुर शहर में है। यह शहर भारत के ह्रदय राज्य मध्यप्रदेश का खूबसूरत पर्यटन स्थल है। कुदरती खूबसूरती के साथ इतिहास का परिदृश्य इस स्थल को खास बनाने का काम करता है। माना जाता है कि इस भूमि पर इंसान ने अपने कदम 300 ईसा पूर्व के बाद रखे थे।
मध्य प्रदेश के जबलपुर के भेड़ाघाट-लम्हेटाघाट को यूनेस्को ने विश्व धरोहर की संभावित सूची में जोड़ लिया है। ये पहली कामयाबी है, अभी चार और कठिन चरण पार करने होंगे। जिसके बाद ही विश्व धरोहर के तौर पर पहचान मिलेगी। इसमें कितना वक्त लगेगा यह साफ नहीं है।
भारत ने भेड़ाघाट के धुआंधार की तुलना जिम्बाब्वे के विक्टोरिया फॉल से की है। संगमरमरीय सकरी चट्टानों के बीच से नर्मदा के निकलने को अद्धभुत होने का दावा किया है। भेड़ाघाट क्षेत्र में सफेद संगमरमर के अलावा ग्रे, गुलाबी और नीले भूरे जैसे विभिन्न रंग हैं जो संगमरमर की चट्टानों को अतिरिक्त सुंदरता प्रदान करते हैं। यहां डायनासोर के सबसे पुराने अवशेष मिले।
भेड़ाघाट का एक और प्रमुख आकर्षण संगमरमरी कगारों के पीछे शंकु आकार की एक पहाड़ी के शिखर पर बना चौंसठ योगिनी मन्दिर है। यह एक बड़ा मन्दिर है। कई पाश्चात्य पर्यटन लेखकों ने इसे दुनिया का ख़ूबसूरत मन्दिर कहा है। नर्मदा नदी के प्रसिद्ध जल-प्रपात धुआँधार के निकट द्वितीय सदी ई. की एक मूर्ति प्राप्त हुई है, जो अब चौंसठ-योगिनियों के मंदिर में है।
जबलपुर नगरी कभी गढ़ा गोंडवाना, तो कभी त्रिपुरी के नाम से विख्यात रही। यहां कई कलचुरि राजा हुए, जिन्होंने हिमालय से लेकर सागर के तट तक समस्त राज सत्ताओं को त्रिपुरी के अधीन कर दिया था।
जबलपुर के अन्य प्रमुख पर्यटक स्थल
धुंआधार वॉटर फॉल
मार्बल रॉक
शिव की प्रतिमा
मदन-महल किला
बैलेंसिंग रॉक
गुरूद्वारा साहेब ग्वारीघाट
जैन मंदिर हनुमानताल