जबलपुर। मध्य प्रदेश के जबलपुर जिले के नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज में रविवार को कोरोना से जंग लड़ते हुए 40 वर्षीय नर्स की मौत हो गई। पेइंग वार्ड में ड्यूटी के दौरान उन्हें कोरोना हुआ था, जिसके बाद हफ्ते भर पहले वे मेडिकल कॉलेज के हाॅस्पिटल में भर्ती हुईं थीं। हालात बिगड़ने पर उन्हें सुपर स्पेशयालिटी हॉस्पिटल में शिफ्ट किया गया, जहाँ रविवार की सुबह उन्होंने दम तोड़ दिया। मृतका शुगर और थायराइड से पीड़ित थीं और उन्हें वैक्सीन भी नहीं लगी थी।
कोरोना योद्धा सम्मान, परिवार के सदस्य को नौकरी और 55 लाख रुपए की सहायता राशि की माँग की
साथी की मौत से आहत नर्सिंग संगठनों ने मेडिकल कॉलेज में हंगामा करते हुए मृतका को कोरोना योद्धा सम्मान के साथ परिवार के एक सदस्य को नौकरी और 55 लाख रुपए की सहायता राशि देने की माँग की, ताकि भविष्य में बच्चों के भरण-पोषण में कठिनाई का सामना न करना पड़े। बड़ा सवाल यह है कि शुगर और थायराइड से पीड़ित नर्स से कोरोना वार्ड में ड्यूटी क्यों कराई जा रही थी? जिम्मेदार स्टॉफ की कमी का हवाला देकर पल्ला झाड़ रहे हैं।
साथी नर्सिंग स्टॉफ ने बताया कि मीता लगभग 18 वर्षों से मेडिकल कॉलेज में सेवाएँ दे रहीं थीं। उन्होंने मेडिकल कॉलेज में ही ट्रेनिंग पूरी की थी और उसके बाद यहीं स्टॉफ नर्स के रूप में कार्य कर रहीं थीं। अब तक तीन स्टाफ नर्स की मौत| मेडिकल अस्पताल में इसके पूर्व भी ड्यूटी के दौरान संक्रमित होने पर दो स्टॉफ नर्सों की जान जा चुकी है। इसके पहले सरिता मरावी और सीमा विनीत ने कोरोना संक्रमण से जान गंवाई थी।
मप्र कर्मचारी कांग्रेस के प्रदेश महामंत्री एवं जिला अध्यक्ष संतोष मिश्रा ने स्टाफ नर्स की मृत्यु पर शोक संवेदना व्यक्त करते हुए दिवंगत स्टाफ नर्स नीता को कोरोना योद्धा का सम्मान देकर सम्मानित करने का आग्रह प्रशासन से किया है। कोरोना मरीजों की सेवा करते हुए जान गंवाने वाली कोरोना योद्धा मीता सराठे की विदाई तिरंगे में लपेट कर हुई। साथी नर्सिंग स्टॉफ एवं अन्य लोगों ने नम आँखों से उन्हें विदाई दी। कोरोना प्रोटोकॉल के साथ मोक्ष संस्था द्वारा उनका अंतिम संस्कार ग्रेवियार्ड कब्रिस्तान में किया गया।
कोरोना से जान गंवाने वाली नर्स को कोरोना योद्धा सम्मान, सहायता राशि व परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने की माँग प्रशासन तक पहुँचाई जाएगी। वहीं स्टॉफ की कमी को पूरा करने भर्ती प्रक्रिया की जा रही है।
डॉ. पीके कसार, अधिष्ठाता, मेडिकल कॉलेज
कोरोना की वैक्सीन नहीं लगी
बताया जा रहा है कि मृतका को कोरोना की वैक्सीन नहीं लगी थी। दरअसल वे अपनी मासूम बेटी को फीड करा रहीं थीं, जिसके चलते उन्होंने वैक्सीन नहीं लगवाई थी। वहीं यह भी कहा जा रहा है उन्होंने अपने शुगर एवं थायराइड से पीड़ित होने की जानकारी अस्पताल प्रबंधन को दी थी, जिसे अनसुना करते हुए उनकी ड्यूटी पेइंग वॉर्ड में लगाई गई।
नर्सेस एसोसिएशन अध्यक्ष हर्षा सोलंकी ने बताया कि कोरोना से जान गंवाने वाली स्टाफ नर्स के संक्रमित होने के बाद उनके पति और सास कोरोना की चपेट में आ गए थे। पति की हालत गंभीर होने पर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया गया है। नीता की मौत के बाद सात साल का बेटा और डेढ़ साल की बेटी के सिर से माँ का साया छिन गया है।