भोपाल। अपने अधिकारों की मर्यादा से बाहर जाकर जनसंपर्क संचालनालय के अधिकारी को ट्रांसफर, रिलीव, डिप्टी कलेक्टर को प्रभार और शासकीय वाहन छीन लेने के मामले में भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी अनय द्विवेदी के खंडवा कलेक्टर पद से निलंबन आदेश का इंतजार किया जा रहा है। यह इंतजार मध्य प्रदेश के वह सारे सरकारी पत्रकार कर रहे हैं जो समाचार पत्रों एवं टीवी न्यूज़ चैनलों के माध्यम से जनता के बीच कलेक्टर से लेकर मुख्यमंत्री तक के समाचार पहुंचाते हैं।
मुख्यमंत्री कार्यालय ने अनय द्विवेदी आईएएस को निलंबित करने का आश्वासन दिया है
दिनांक 24 मई 2021 को मध्य प्रदेश जनसंपर्क संचालनालय के सभी अधिकारी कर्मचारी हड़ताल पर चले गए थे। इस दिन मध्य प्रदेश के सभी 52 जिलों में कलेक्टर की गतिविधियां एवं प्रशासन और सरकार के समाचार प्रकाशित नहीं हुए थे। स्थिति को तुरंत नियंत्रण में लेने के लिए मुख्यमंत्री के कार्यालय में श्री अनय द्विवेदी आईएएस को निलंबित करने का आश्वासन दिया था तब कहीं जाकर हड़ताल खत्म हुई।
29 साल के अनुभवी अधिकारी को कलेक्टर ने अयोग्य बताया था
विवाद इसलिए बढ़ गया क्योंकि अनय द्विवेदी आईएएस ने 29 साल के अनुभवी अधिकारी को अयोग्य करार दे दिया। जनसंपर्क अधिकारी बृजेंद्र शर्मा का कहना है कि शासन की 29 साल की सेवा में 50000 से ज्यादा समाचार लिख चुका हूं। अब कोई अधिकारी कहे कि मुझे समाचार लिखना नहीं आता, तो सर झुका कर स्वीकार नहीं कर पाऊंगा।
कलेक्टर ने पहले खुद ट्रांसफर किया फिर कमिश्नर से सस्पेंड करवाया
अनय द्विवेदी आईएएस की प्रशासनिक समझ और कार्यशैली देखिए, दिनांक 22 मई 2021 को उन्होंने पीआरओ बृजेंद्र शर्मा को भोपाल मुख्यालय के लिए ट्रांसफर किया और रिलीव कर दिया। डिप्टी कलेक्टर को जनसंपर्क अधिकारी पद का प्रभार भी दे दिया। जब पत्रकारों ने बताया कि कलेक्टर को यह अधिकार ही नहीं है तो 23 मई 2021 को उन्होंने एक प्रतिवेदन लिखकर इंदौर कमिश्नर डॉक्टर पवन शर्मा को भेज दिया। राजस्व विभाग के कमिश्नर डॉक्टर पवन शर्मा ने तत्काल जनसंपर्क अधिकारी को निलंबित कर दिया। यही कारण रहा कि जनसंपर्क संचालनालय के कमिश्नर भी सहमत नहीं हुए और 24 मई 2021 को सभी अधिकारी हड़ताल पर चले गए।
हड़ताल होते ही इंदौर कमिश्नर ने जारी किया गया निलंबन आदेश वापस ले लिया लेकिन हड़ताल खत्म नहीं हुई। तब मुख्यमंत्री के कार्यालय हैं कलेक्टर को सस्पेंड करने का आश्वासन दिया। इस आश्वासन के बाद ही पीआरओ संघ ने हड़ताल खत्म की थी। अब मामला खुद सीएम शिवराजसिंह चौहान के यहां अटका है।