दण्ड प्रक्रिया संहिता का अध्याय 7 का उपखण्ड- ग तलाशी संबंधित कुछ नियमों को बताता है। वैसे तो सरकारी गोपनीयता अधिनियम, 1923 में बिना वारण्ट के तलाशी लेने का अधिकार अन्वेषण के समय उन अधिकारी को होता है जिन्हें यह जिम्मेदारी दी गई है लेकिन यह कानून जब लागू होता है तब किसी व्यक्ति द्वारा देश या राज्य सरकार को गंभीर क्षति पहुचाने के लिए कोई आयुध गुप्त स्थानों पर छुपा कर रखे गए हैं या कोई ऐसी योजना आरोपी द्वारा बनाई जा रही है जिससे देश या राज्य के जनमानस की जान का खतरा उत्पन्न होने वाला हो। आज की धारा 100 उपर्युक्त अधिनियम पर लागू नहीं होती है इस धारा के अंतर्गत बिना वारण्ट के कोई भी पुलिस अधिकारी किसी बन्द स्थान की तलाशी नहीं ले सकता है, जानिए इसके सम्पूर्ण नियम।
दण्ड प्रक्रिया संहिता,1973 की धारा 100 की परिभाषा:-
किसी भी बंद स्थान की तलाशी के लिए तलाशी देने वाले व्यक्ति एवं लेने वाले अधिकारी को निम्न नियमो का पालन करना होगा:-
1. जिस स्थान की तलाशी लेना है उस स्थान के मालिक या भारसाधक व्यक्ति का कर्तव्य हैं कि, वह तलाशी लेने वाले पुलिस अधिकारी का पूर्ण सहयोग देगा एवं तलाशी के लिए मना नहीं करेगा।
2. अगर किसी कारणवंश बन्द स्थान में प्रवेश नहीं हो पा रहा है तब पुलिस अधिकारी खिड़की, दरवाजा आदि तोड़ कर प्रवेश कर सकता है। अगर ऐसे बन्द कमरे में कोई महिला मौजूद हैं तब उस महिला को बहा से हटने के बाद तलाशी ली जाएगी।
3. अगर पुलिस अधिकारी को संदेश है कि कोई वस्तु किसी व्यक्ति ने शरीर के पहने वस्त्रों में छुपाई है तब वह व्यक्ति के शरीर की तलाशी ले सकता है। लेकिन स्त्री होने की दशा में महिला पुलिस अधिकारी ही तलाशी ले सकती है।
4. तलाशी लेने से पूर्ण पुलिस अधिकारी का कर्तव्य हैं कि वह गवाह के रूप में दो उस वार्ड, मोहल्ले के प्रतिष्ठित व्यक्ति को साथ रखेगा, अगर मोहल्ले ,वार्ड में ऐसे व्यक्ति नहीं मिलते तो अन्य मोहल्ले वार्ड से गवाह को बुलावा सकते हैं।
5. तलाशी गवाहों के सामने ली जाएगी एवं जो भी वस्तु या चीजे जिस जिस स्थान पर पाई जाती है साक्षियों के सामने पुलिस अधिकारी उनकी सूची बनाएगा एवं गवाहों के हस्ताक्षर लेगा। अगर न्यायालय को लगता है कि कोर्ट में गवाहों को गवाही देने की आवश्यकता है तब न्यायालय उनको समन द्वारा बुलावा सकता है।
6. तलाशी उस व्यक्ति के सामने भी ली जा सकती है जिसके बन्द स्थान की तलाशी ली जा रही है या उसका कोई नजदीक भी वहाँ तलाशी के समय मौजूद रह सकता है। तलाशी पूर्ण होने के बाद तलाशी में मिली वस्तु, चीजे की सूची जो गवाहों एवं अधिकारी के हस्ताक्षर से बनी गईं थी उसकी एक प्रतिलिपि उस व्यक्ति को दी जाएगी जिसके स्थान की तलाशी ली गई है।
7. अगर व्यक्ति के शरीर की तलाशी के समय उसके वस्त्रों में कोई वस्तु मिली है तब उसकी सूची भी अलग से तैयार करके प्रतिलिपि उस व्यक्ति को दे दी जाएगी।
8. इस धारा के अंतर्गत पुलिस अधिकारी किसी भी व्यक्ति को गवाह बनाने के लिए लिखित आदेश भेज सकते हैं अगर ऐसे आदेश का वह व्यक्ति पालन नही करता है तब उस व्यक्ति पर भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 187 (किसी भी लोकसेवक के आदेश का पालन नहीं करना) के अंतर्गत दाण्डित किया जा सकता है।
दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 100 में यह स्पष्ट हो गया है कि तलाशी लेने में वाले अधिकारी हो या देने वाला, या गवाह सभी को विधि के अनुसार कार्य करना पड़ता है न कि हम फिल्मों में देखते है कि पुलिस अधिकारी बिना नियमो के तलाशी लेते हैं। :- लेखक बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
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