वैसे तो किसी स्थान की तलाशी लेना हो तो मजिस्ट्रेट जब तक तलाशी वारंट जारी नहीं करेगा तब तक कोई पुलिस अधिकारी तलाशी लेने और कोई वस्तु को स्वयं के विवेकानुसार जब्ती नहीं कर सकता है लेकिन दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 102 उन पुलिस अधिकारी को (जो थाने के थाना प्रभारी के अधीनस्थ कार्य करते है) शक्ति देती है कि वह उपर्युक्त धारा के उपबंधों के आधार पर संपत्ति की जब्ती कर सकते हैं।
दण्ड प्रक्रिया संहिता,1973 की धारा 102 की परिभाषा:-
कई संपत्ति को अभिगृहित करने की शक्ति पुलिस अधिकारी को निम्न नियमों के अंतर्गत प्राप्त है:-
1. पुलिस अधिकारी ऐसी संपत्ति को बिना मजिस्ट्रेट के वारण्ट के तुरंत जब्त के कर सकता है जो चोरी को हो या ऐसी वस्तु किसी व्यक्ति के पास है जिससे अपराध होने की संभावना हो।
2. संपत्ति जब्त (अभिगृहित) करने वाला पुलिस अधिकारी थाना प्रभारी से नीचे की पंक्ति का है तो संपत्ति की जब्ती की रिपोर्ट तुरंत थाने के भारसाधक अधिकारी को देगा।
3. थाना प्रभारी चोरी की संपत्ति या कोई वस्तु ऐसी जब्त हुई है, उसकी रिपोर्ट तुरंत अपने क्षेत्र के मजिस्ट्रेट को देगा। अगर कोई संपत्ति ऐसी है जिसे एक स्थान से दूसरे स्थान पर तुरंत ले जाना कठिन है तब उस स्थान के किसी व्यक्ति की अभिरक्षा में एक बंधपत्र की शर्तों के अनुसार छोड़ा जाएगा। बंधपत्र में अभिरक्षा करने वाले व्यक्ति से अपेक्षा की जाएगी कि न्यायालय जब आदेश करेगा उस संपत्ति को प्रस्तुत करने की तब मजिस्ट्रेट के सामने उसे पेश किया जाएगा।
नोट:- अगर पुलिस अधिकारी द्वारा ऐसी कोई संपत्ति जब्त की जाती है जो तुरंत या शीघ्रता नष्ट होने वाली है और ऐसी संपत्ति के कब्जे वाला व्यक्ति अज्ञात हो या अनुपस्थित हो और ऐसी संपत्ति का मूल्य 500 रुपए से कम हो तब उस संपत्ति का जिला पुलिस अधीक्षक के आदेश द्वारा तुरंत नीलामी(कुर्की) हो सकेगी। :- लेखक बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
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