दण्ड प्रक्रिया संहिता में हम आपको फरार आरोपी को हाजिर होने के लिए विवश करने के लिए कौन से आदेश न्यायालय दे सकता है इसकी जानकारी दे रहे हैं। अगर व्यक्ति न्यायालय के समक्ष उद्घोषणा के बाद हाजिर नहीं होता है तब उसकी संपत्ति को न्यायालय कुर्की करवा सकता है। क्या न्यायालय के आदेश के बाद फरार व्यक्ति की संपत्ति कुर्की हो जाती है और फरार व्यक्ति न्यायालय में पेश हो जाता है तब न्यायालय उसकी संपत्ति वापस कर देगा या नहीं इन सभी सवालों के जबाब जानेंगे हम आज की धारा 85 में।
दण्ड प्रक्रिया संहिता,1973 की धारा 85 की परिभाषा (सरल एवं स्पष्ट शब्दों में):-
1. यदि फरार व्यक्ति उद्घोषणा के बाद न्यायालय ने फरार व्यक्ति को जो समय दिया है, उस निश्चित समय पर वो हाजिर हो जाता है, तब न्यायालय कुर्की के आदेश से संपत्ति को मुक्त कर देगा।
2. अगर संपत्ति की कुर्की के आदेश के बाद फरार व्यक्ति निश्चित समय अवधि पर न्यायालय में हाजिर नहीं होता है तब धारा 84 के अनुसार दावे एवं आपत्ति को देखा जाएगा। लेकिन अगर कोई कुर्की होने वाली संपत्ति शीघ्र नष्ट होने वाली या खत्म होने वाली है तब न्यायालय स्वंय के विवेकानुसार नीलामी संबंधित निर्णय ले सकता है।
3. अगर कोई व्यक्ति दो वर्ष बाद स्वंय की इच्छा से या पुलिस द्वारा पकड़ कर न्यायालय के सामने ला दिया जाए। तब उस व्यक्ति को न्यायालय के न तो समन मिला हो न उसे उद्घोषणा के आदेश एवं न कुर्की संपत्ति के विषय में कोई जानकारी प्राप्त थी। अगर वह इन सब बातों को साबित कर देता है कि उसे सच में इन सब आदेशों एवं समन की जानकारी नहीं थी तब ऐसी स्थिति में न्यायालय, जो संपत्ति कुर्क हो गई है उसकी कीमत एवं जो नहीं हुई वह राज्य सरकार के पास से वापस लेकर फरार व्यक्ति को को सौप दी जाएगी। उपर्युक्त शर्तो के अनुसार। :- लेखक बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
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