दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 85(3) के अनुसार अगर कोई फरार व्यक्ति 2 वर्ष पश्चात न्यायालय में आकर यह दावा करता है कि उसे न्यायालय द्वारा जारी किए गए आदेश, समन या उद्घोषणा संबंधित किसी की जानकारी नही थी। और वह न्यायालय द्वारा कुर्की संपत्ति को वापस लेने के लिए आवेदन देता है और न्यायालय को उसके साक्ष्यों पर विश्वास नहीं होता है या संदेह होता है तब न्यायालय उसके दावा-आपत्ति आवेदन को खारिज कर दे तब ऐसा फरार व्यक्ति किस धारा के अंतर्गत अपील कर सकता है जानिए।
दण्ड प्रक्रिया संहिता,1973 की धारा 86 की परिभाषा:-
किसी फरार व्यक्ति की संपत्ति जो उद्घोषणा के बाद कुर्की हो गई है,और वह व्यक्ति दो वर्ष बाद दावा-आपत्ति का आवेदन न्यायालय में देता है, न्यायालय उसके आवेदन को नामंजूर कर दे या उसकी संपत्ति उसे सौपने से मना कर दे, तब ऐसा फरार व्यक्ति को अधिकार है कि वह दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 86 के अनुसार उससे संबंधित अपीली न्यायालय में दावा-आपत्ति लगा सकता है।
नोट:- क्रिमिनल संबंधित अर्थात भारतीय दण्ड संहिता के सभी आपराधिक मामले दण्ड प्रक्रिया संहिता के अंतर्गत देखे जाते हैं। न कि सिविल प्रक्रिया संहिता के अंतर्गत न्यायालय भी दिनों के अलग अलग होते हैं सिविल मामले सिविल न्यायालय में सुने जाते हैं। यहाँ फरार व्यक्ति उद्घोषणा की बात कर रहे हैं यह आपराधिक मामले है और ये मामले सत्र न्यायालय के अधीन देखे जायेगे।
:- लेखक बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
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