जब न्यायालय या पुलिस की जांच, अन्वेषण प्रारंभ होती है तब न्यायालयए दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 91 के अंतर्गत आदेश या समन भेज कर कोई दस्तावेज, चीज, वस्तु प्रस्तुत करने के लिए आरोपी या उससे संबंधित किसी व्यक्ति से मांग करता है, या धारा 92 के अनुसार जिला मजिस्ट्रेट, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट या उच्च न्यायालय डाक या तार के अधिकारी से अपेक्षा करता है कि वह मांगे गए दस्तावेज, पत्र, पार्सल को न्यायालय में पेश करे लेकिन इन समन या आदेश के बाद भी मांगे गए दस्तावेज पेश नहीं होते हैं तब न्यायालय तलाशी वारण्ट जारी करेगा।
दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 93 की परिभाषा:- {तलाशी वारण्ट जारी कब किया जाएगा}-
1.(क)- न्यायालय को लगता है कि धारा 91 के आदेश, समन के बाद या धारा 92(1) के अंतर्गत अपेक्षा के बाद भी दस्तावेज पेश नहीं किया या नहीं करेगा तब।
(ख)- न्यायालय को जानकारी नही है कि कोई दस्तावेज का वस्तु किस व्यक्ति के पास है तब।
(ग) - न्यायालय को लगता है कि इस जांच, अन्वेषण, विचारण में सामान्य तलाशी या निरीक्षण करना आवश्यक है तब।
(2) न्यायालय को लगता है कि किसी विशिष्ट स्थान या भाग की तलाशी या निरीक्षण से दस्तावेज, वस्तु प्राप्त हो सकती है तब।
(3) डाक या तार विभाग की तलाशी का वारण्ट जारी करने का अधिकार सिर्फ जिला मजिस्ट्रेट, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, सत्र न्यायालय या उच्च न्यायालय को होता है। अन्य मजिस्ट्रेट ऐसा तलाशी वारण्ट जारी नहीं कर सकते हैं।
तलाशी लेना संवैधानिक है या असंवैधानिक जानिए:-
*उधरणानुसार वाद:-वी•एस•कुट्टन पिल्लई बनाम राम कृष्णन-* वाद में निर्णीत किया गया कि आरोपी के कब्जे वाले परिसर की तलाशी ऐसे तलाशी में आरोपी को शामिल किए बिना लिया जाना संवैधानिक है, एवं यह तलाशी संविधान के अनुच्छेद 20(3) के द्वारा प्रत्याभूत अधिकार का उल्लंघन नहीं है। :- लेखक बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
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