इंदौर। मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में ब्लैक फंगस से मरीज अस्पताल में कराह रहे हैं और परिजन इंजेक्शन के लिए परेशान हो रहे हैं। इंजेक्शन नहीं मिलने पर परिजनों का रविवार दोपहर ढाई बजे गुस्सा फूट पड़ा। उनका आरोप है कि मेडिकल दुकानों पर दवा नहीं मिल रही है और न ही अस्पतालों में।
प्रशासन ने कमेटी तो गठित कर दी है, लेकिन कमेटी के पास जाने वाले मरीजों के परिजनों को अपमानित होना पड़ रहा है। कल कुछ मरीज वहां पहुंचे थे, लेकिन उन्हें संतोष जनक जवाब नहीं मिला तो वे बिफर गए। बाद में महात्मा गांधी मेडिकल प्रशासन ने पुलिस तक बुलाने की धमकी दे दी। मामले की शिकायत प्रभारी मंत्री सहित संभागायुक्त को भी की गई है।
ब्लैक फंगस की दवाइयों के मामले में प्रशासन ने महात्मा गांधी मेडिकल कॉलेज के डीन सहित दो अन्य डॉक्टरों की कमेटी गठित की है, जो तय करेगी कि ब्लैक फंगस के इंजेक्शन प्राथमिकता के आधार पर किसे दिए जाएं। इसको लेकर मरीज के परिजनों को एक आवेदन यहां देना पड़ रहा है। कल भी बड़ी संख्या में मरीजों के परिजन मेडिकल कॉलेज पहुंच गए, लेकिन वहां उन्हें कोई संतोष जनक जवाब नहीं मिला।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार परिजन डीन डॉ. संजय दीक्षित से मिलना चाह रहे थे, लेकिन वे नहीं मिले तो परिजनों ने हंगामा शुरू कर दिया। इस पर मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने धमकी दी कि अगर आप लोग यहां से नहीं गए तो पुलिस को बुलाना पड़ेगा। ब्लैक फंगस के लिए एमजीएम मेडिकल कॉलेज पहुंचे कुनाल जैसवाल ने बताया कि उनकी मां अलका जैसवाल ग्रेटर कैलाश अस्पताल में भर्ती हैं।
डॉक्टर ने शनिवार को यह इंजेक्शन लिखकर दिया था। बाजार में यह इंजेक्शन मिल रहा है, लेकिन मेडिकल वाले यह इंजेक्शन बिना डीन के हस्ताक्षर के नहीं देंगे और डीन संजय दीक्षित का कहना है कि बाजार में इंजेक्शन नहीं है। लेकिन परिजनों का कहना था कि डीन सिर्फ जो फॉर्मेट अस्पताल से मंगवाया है उस पर अपना हस्ताक्षर कर दें फिर हम कहीं से भी यह इंजेक्शन लेकर आ जाएंगे।लेकिन डीन परेशान परिजनों से मिलना तो दूर ऑफिस में बैठ बैठे अपना काम कर रहे हैं।