भोपाल। DIRECTORATE OF HEALTH SERVICES, MP द्वारा जारी किए गए आंकड़ों में सबसे अच्छी बात यह नजर आ रही है कि 79% से ज्यादा पॉजिटिव लोगों को तो उनके घर वालों ने ही ठीक कर दिया। यह सभी लोग होम आइसोलेशन में थे। बताने की जरूरत नहीं की होम आइसोलेशन वाले मरीजों की सरकारी डॉक्टर कितनी चिंता कर रहे थे।
मध्य प्रदेश शासन के स्वास्थ्य विभाग ने बताया कि कोरोनावायरस से संक्रमित हुए कुल मरीजों में से 84.3% पीड़ित लोग बिना अस्पताल गए ही स्वस्थ हो गए। इनमें से 79.2 प्रतिशत मरीज होम आइसोलेशन में ठीक हुए जबकि 5.1 प्रतिशत मरीज कोविड केयर सेंटर्स में स्वस्थ हुए। यानी प्रत्येक 100 पॉजिटिव लोगों में से मात्र 16 लोग ही अस्पतालों में इलाज कराने के लिए भर्ती हुए।
सरकार ने सिर्फ कर्फ्यू लगाए, इलाज घर वालों ने किया
यह इतिहास में दर्ज किया जाएगा कि कोरोनावायरस की दूसरी लहर में सरकार कोई प्रभावी भूमिका नहीं निभा पाई। जबकि महामारी और प्राकृतिक आपदाओं से जनता को बचाना सरकार का संवैधानिक दायित्व है। सरकार ने सिर्फ कर्फ्यू लगाए। अस्पतालों में बेड, ऑक्सीजन, इंजेक्शन और डॉक्टर उपलब्ध नहीं करा पाई। जिन लोगों का अस्पतालों में भर्ती किया गया उनमें से ज्यादातर के लिए ऑक्सीजन, इंजेक्शन यहां तक कि डॉक्टर के प्रबंध भी घरवालों ने किए। पहली बार सरकारी अस्पतालों के दरवाजों पर बेड फुल होने की नोटिस लगाए गए और गंभीर रूप से पीड़ित लोगों को भर्ती करने से मना किया गया।
CORONA से जनता खुद लड़ रही है, शुरुआत में तो सरकार अनुपस्थित थी
कोरोनावायरस की दूसरी लहर से जनता खुद लड़ रही है। शुरुआत के दौर में तो सरकार पूरी तरह से अनुपस्थित थी। कुछ समय बाद बाद सरकार सक्रिय हुई तब भी हालात नियंत्रित करने में सक्षम नहीं थी। तमाम लोगों की अकाल मृत्यु के समाचारों के बीच लोगों ने ना केवल अपना हौसला बनाए रखा बल्कि पीड़ितों को भी हिम्मत देते रहे। सबसे ज्यादा शर्मनाक बात यह है कि इस बार अस्पतालों में असंवेदनशीलता और हैवानियत का नंगा नाच देखा गया।