भोपाल। मध्यप्रदेश के वन विभाग में जंगलराज की कहानियां अक्सर सामने आती रहती हैं। ताजा मामला भारतीय वन सेवा के वरिष्ठ अधिकारी मोहनलाल मीणा और अमित साहू का है। एक पुराना ऑडियो वायरल हो रहा है, जिसमें मोहन लाल मीणा अपने अधीनस्थ रेंजर अमित साहू से 30,000 रुपए की डिमांड कर रहे हैं।
27 सेकंड के वायरल ऑडियो में क्या बातें हुई
मीणा : कैसे हो।
रेंजर : आदेश करें सर?
मीणा : छोटे बच्चे की फीस जमा करनी है, कुछ राशि डाल देंगे अकाउंट में। मैं अकाउंट नंबर भेज रहा हूं।
रेंजर : डाल देंगे सर।
मीणा : इसे अगले महीने में देख लेंगे। तीस हजार रुपए डाल दो। छोटा वाला बच्चा है।
रेंजर : जी सर। अकाउंट नंबर भेज दीजिए।
मीणा : कभी-कभी थोड़ी तंगी आ जाती है।
वायरल ऑडियो के साथ बैंक डिपॉजिट स्लिप
सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे इस ऑडियो के साथ बैंक डिपॉजिट स्लिप (पंजाब नेशनल बैंक मुल्ताई ब्रांच ) भी है। पर्ची में विवेक कुमार और उनके खाते नंबर की डिटेल है। साथ ही 30 हजार रु. जमा करने की जानकारी है। इसमें बैंक की सील भी है जो 21 फरवरी 2021 की है। कहा जा रहा है कि यह बैंक डिपॉजिट स्लिप किसी मामले से संबंधित है।
वन विभाग ने जांच के आदेश दिए
IAF मोहनलाल मीणा बैतूल के एपीसीसीएफ और सर्किल के इंचार्ज हैं। ऑडियो वायरल होने के बाद वन विभाग ने दो आईएफएस अधिकारियों की जांच कमेटी बना दी है, जो 10 दिन में रिपोर्ट देगी। कमेटी में एपीसीसीएफ विभाष ठाकुर और शुभरंजन सेन शामिल हैं। बताया गया है कि यह ऑडियो फरवरी का है जो हाल ही में वायरल हुआ।
ऑडियो में आवाज मेरी, पर बैंक स्लिप मेरे खाते की नहीं है: मीणा
मोहनलाल मीणा ने स्वीकार किया कि आवाज उनकी है। बच्चे के लिए 30 हजार रु. की बात भी वे ही कर रहे हैं, उसके आगे और पीछे की बात काटी गई है। कुछ चीज के लिए उनसे बोला था, लेकिन पैसे नहीं मिले। भोपाल के एक वरिष्ठ पत्रकार ने जब मोहन लाल मीणा से इस बारे में प्रति प्रश्न किए तो मीणा ने कहा कि बैतूल आ जाइए सारे जवाब दे दूंगा।
अधीनस्थ अधिकारी से पैसे मांगना भ्रष्टाचार माना जाता है
भारत में कर्मचारियों एवं अधिकारियों के लिए निर्धारित नियमों के अनुसार अधीनस्थ अधिकारी से किसी भी व्यक्तिगत कारण से पैसे मांगना भ्रष्टाचार माना जाता है। यदि कोई वरिष्ठ अधिकारी अपने अधीनस्थ अधिकारी से उधार पैसा मांगता है तब भी इसे भ्रष्टाचार माना जाता है। आश्चर्यजनक बात यह है कि IFS अधिकारी पर लगे भ्रष्टाचार के आरोप की जांच IFS अधिकारी ही करेंगे। जबकि ऐसे मामलों की जांच थर्ड पार्टी को दी जानी चाहिए, जो वन विभाग से संबंधित ना हो।