भोपाल। मध्य प्रदेश में सरकारी तंत्र किस तरह से काम करता है और सिस्टम बनाने वाले अधिकारियों द्वारा भ्रष्टाचार के लिए कितनी ज्यादा गुंजाइश छोड़ी जाती है, इस बात का प्रमाण दमोह के उस मामले में मिलता है जिसमें प्राइमरी के शिक्षक कैलाश तंतुवाय की मृत्यु का कारण कोरोना बताकर शासकीय लाभ के लिए सूचीबद्ध कर दिया गया जबकि उसकी हत्या हुई थी।
हद कर दी! मृतक को वेरीफाई करने के बाद भुगतान नहीं करने का कारण भी दर्ज कर दिया
कोरोनावायरस के संक्रमण से भरने वाले 57 शासकीय कर्मचारियों की लिस्ट जिला शिक्षा अधिकारी के कार्यालय से संयुक्त संचालक लोक शिक्षण संचालनालय जिला सागर की कार्यालय भेजी गई है। स्वाभाविक है कि जिला शिक्षा अधिकारी के स्तर पर लिस्ट की जांच और पुष्टि आदि सभी प्रकार की प्रक्रिया पूरी कर ली गई है। इसी लिस्ट में 57 वें नंबर पर हटा ब्लाक के प्राइमरी शिक्षक कैलाश तंतुवाय का नाम है। प्राथमिक शाला घुटरिया में पदस्थ होना बताया गया है। उसकी मृत्यु की तिथि 25 मार्च 2021 दर्ज है और मृत्यु का कारण कोरोना संक्रमण बताया है। राशि का भुगतान नहीं होने का कारण वाले कॉलम में परिजनों द्वारा दस्तावेज प्रस्तुति नहीं किए जा रहे हैं लिखा गया। जबकि इस शिक्षक की मौत कोरोना संक्रमण से नहीं हुई, इसकी पत्नी द्वारा ही प्रेमी के साथ मिलकर हत्या करवाई थी और पत्नी व प्रेमी सहित अन्य आरोपी जेल में हैं।
अब पढ़िए जिम्मेदारों के गैर जिम्मेदाराना बयान
भूपेंद्र राजपूत, बीईओ, हटा ब्लाक अपने अधिकार क्षेत्र में होने वाली सभी प्रकार की विभागीय गतिविधियों के लिए जिम्मेदार हैं। यदि वह अनुपस्थित हैं तो जिस दिन कर्तव्य पर उपस्थित होते हैं उस दिन सभी विभागीय गतिविधियों का निरीक्षण और मूल्यांकन करना ब्लॉक एजुकेशन ऑफिसर की लीगल रिस्पांसिबिलिटी है। पत्रकारों ने जब भूपेंद्र राजपूत से सवाल किया तो उनका कहना था कि 'सहायक शिक्षक कैलाश तंतुवाय की तो हत्या हुई थी सभी को पता है फिर उनका नाम कोरोना संक्रमण से मौत में कैसे आ गया, यह तो गलत है, जिस समय सूची तैयार हुई है उस समय मैं छुट्टी पर था, केपी बागरी डीडीओ से जानकारी लेकर दिखवाता हूं यह कैसे हुआ। (सवाल सिर्फ यह है कि जिस दिन छुट्टी से वापस आए उस दिन क्या किया था। सूची पर हस्ताक्षर किसके हैं और क्या वह प्रभारी ब्लॉक एजुकेशन ऑफिसर था।)
एचएन नेमा, डीईओ, दमोह जिले में होने वाली सभी गतिविधियों के लिए जिम्मेदार हैं। शासकीय योजनाओं का लाभ देने के लिए किसी भी प्रकार की लिस्ट को संभागीय अथवा प्रदेश मुख्यालय पर भेजने से पहले उसकी जांच करना एवं पुष्टि करना डिस्ट्रिक्ट एजुकेशन ऑफिसर की लीगल रिस्पांसिबिलिटी है। सरल शब्दों में कहें तो ब्लॉक एजुकेशन ऑफिसर द्वारा किए गए कामों की जांच करना और यह सुनिश्चित करना कि सब कुछ सही है, जिला शिक्षा अधिकारी का पदीय कर्तव्य है। पत्रकारों के पूछने पर श्री नेमा ने कहा कि मैं अभी छुट्टी पर हूं मुझे इस बारे में जानकारी नहीं है दिखवाना पड़ेगा।
गलती है या भ्रष्टाचार, जिम्मेदारों की जांच जरूरी है
क्यों ना यह मान लिया जाए कि यह सब कुछ एक सुनियोजित साजिश के तहत किया गया है। शिक्षक की हत्या हो चुकी है और उसकी पत्नी जेल में है। फर्जी दस्तावेज बनाना और फर्जी बैंक अकाउंट खोलना कोई बड़ा काम नहीं है। जांच में प्रमाणित हो चुका है कि स्कॉलरशिप घोटाले के दौरान मात्र ₹15000 की स्कॉलरशिप के लिए फर्जी खाते खोले गए। क्यों ना यह माना जाए कि शिक्षक कैलाश तंतुवाय की हत्या को कोरोनावायरस के संक्रमण से मृत्यु बता कर भ्रष्टाचार किया जा रहा था। यदि संभागीय स्तर पर पकड़ा नहीं जाता तो साजिश सफल भी हो सकती थी।