ऐसा करने पर जमीन में छिपे हुए हानिकारक कीड़े बीमारियों के अण्डे, प्यूपा, लार्वा एवं फफूंद, जीवाणु आदि तेज धूप से नष्ट हो जाएंगे और खेत में उपस्थित घास, फूस, दूब कांस एवं जरवेरी आदि धूप में सूखकर एवं मिट्टी में दबकर खत्म हो जाएंगे। इससे फसल के दौरान कम नींदा पैदा होंगे अर्थात निंदाई में कम खर्च होगा और फसल की समय पर अच्छी बढ़वार होगी।
गर्मी की जुताई करने से वर्षा के जल का अधिक संरक्षण/अवशोषण होता है, जिससे यह पानी, फसल को अवर्षा की स्थिति में सूखने से बचाने में सहायक होता है। साथ ही भूमि में वायु संचार बढ जाता है तथा मानसून आने पर खेत की शीघ्र जुताई कर समय पर बुवाई की जा सकती है।