लोग हमेशा विजेता की Success Story सुनाते हैं परंतु आज हम आपको एक ऐसी रियल सक्सेस स्टोरी बताने जा रहे हैं जिसमें जीतने वाले का संघर्ष तो निश्चित रूप से उल्लेखनीय है परंतु उसका भविष्य बनाने वाले शिक्षक की कहानी भी कम प्रेरणादायक नहीं है। यह कहानी प्रमाणित करती है कि किस तरह एक शिक्षक पैरों में पड़े हुए कंकर को शंकर बना देता है।
पिता ऑटो रिक्शा ड्राइवर, माता खेतिहर मजदूर
एक अंग्रेजी वेबसाइट में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, अंसार अहमद शेख का परिवार महाराष्ट्र के एक छोटे से गांव में रहता था। उनके पिता अहमद शेख ऑटो रिक्शा चलाते थे। परिवार में अंसार के अलावा एक भाई और दो बहने भी थे। ऑटो रिक्शा की कमाई घर के लिए पूरी नहीं पड़ती थी इसलिए संसार की माताजी खेतिहर मजदूर के रूप में काम करती थी।
स्कूल टीचर पुरुषोत्तम पडुलकर सर ने IAS अंसार का भविष्य बचाया
जब अंसार थोड़े बड़े हुए तो उनके पिता ने अंसार का स्कूल बंद करवा कर उसे भी मजदूरी के लिए भेजने का फैसला लिया लेकिन स्कूल के शिक्षक पुरुषोत्तम पडुलकर ने अपने निर्धारित कर्तव्य के अतिरिक्त अंसार के भविष्य के लिए उनके पिता के फैसले के खिलाफ संघर्ष किया और पिता अहमद शेख को अंसार की पढ़ाई जारी रखने के लिए राजी कर लिया। याद रखना जरूरी है कि यदि पुरुषोत्तम सर ना होते तो शायद अंसार पढ़ाई छोड़कर पिता के साथ ऑटो रिक्शा चला रहे होते।
फीस जमा करने के लिए वेटर की नौकरी की
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जब अंसार दसवीं कक्षा में आ गए तो वह कंप्यूटर सीखना चाहते थे लेकिन कंप्यूटर क्लास की फीस ₹3000 मासिक थी। पिता फीस देने में सक्षम नहीं थे इसलिए अंसार ने एक रेस्टोरेंट में वेटर का काम करना शुरू किया। काम के बीच में से 2 घंटे के विश्राम अवकाश के दौरान अंसार कंप्यूटर क्लास ज्वाइन करते थे। इसी साल पुरुषोत्तम सर ने राज्य लोक सेवा आयोग की परीक्षा पास की और अंसार को UPSC की तैयारी करने के लिए गाइड किया।
पुरुषोत्तम सर द्वारा प्रोत्साहित किए जाने और गाइडेंस के चलते सन 2015 में मात्र 21 साल की उम्र में अंसार अहमद शेख ने संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा पास कर ली। अंसार ने 361वीं प्राप्त की है। इस प्रकार एक अच्छे शिक्षक के गाइडेंस मिल जाने के कारण ना केवल अनुसार की लाइफ बन गई बल्कि पूरे परिवार की जिंदगी बदल गई। ऑटो रिक्शा वाले का वेटर बेटा आज भारतीय प्रशासनिक सेवा का सम्मानित अधिकारी है।