भोपाल। कोरोनावायरस के संक्रमण की रोकथाम के लिए मध्यप्रदेश में इन दिनों सब कुछ अस्थाई हो रहा है। सरकार अस्थाई कोविड केयर सेंटरों पर करोड़ों रुपए खर्च कर रही है तो ग्रामीण क्षेत्रों में देसी डॉक्टरों ने भी खेत और बगीचों में अस्थाई अस्पताल खोलना शुरू कर दिए हैं। आगर मालवा के बाद विदिशा में खेत में अस्पताल मिला है। यहां मजेदार बात यह है कि पिता की डिग्री पर बेटा डॉक्टर बनकर प्रैक्टिस कर रहा है।
पिता की डिग्री पर बेटा डॉक्टर
मामला विदिशा जिले के नटेरन ब्लॉक के ग्राम वर्धा का है। खेत में एक बिल्डिंग बनी हुई है। ग्रामीण इसी को अस्पताल कहते हैं। स्टोर में दवाइयां और इंजेक्शन ऐसे भरे पड़े हैं जैसे कबाड़खाने में कचरा। बाहर एक टेबल पर दवाई की दुकान सजाई गई थी। लोगों का इलाज कर रहे व्यक्ति ने बताया कि उसके पास कोई डिग्री नहीं है लेकिन उसके पिता के पास है। उसने यह भी बताया कि सामान्य बीमारियों के अलावा कोरोनावायरस के प्राथमिक लक्षण दिखाई देने पर भी इलाज किया जाता है।
ऐसे अस्पतालों में लोग क्यों जाते हैं
वर्तमान में यह नहीं कह सकते कि ग्रामीणों को जानकारी नहीं है। या फिर उन्हें भ्रमित किया जा सकता है। ग्रामीण नजदीक का शहर भी जानते हैं और शहर के स्कूल, बाजार एवं अस्पताल भी। बावजूद इसके गांव के लोग इस तरह के अस्पतालों में देसी डॉक्टरों से इलाज करवा रहे हैं। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण यह है कि शहरों में अस्पताल का बिल कई लोगों की कुल संपत्ति की कीमत से भी ज्यादा आ रहा है। सत्ताधारी नेता का आशीर्वाद प्राप्त भोपाल का एक अस्पताल 15 दिन के लिए मरीज से 2500000 रुपए तक वसूल रहा है। सब जानते हैं कि किसकी पहुंच नेशनल लेवल तक है, लेकिन कोई कार्यवाही नहीं कर रहा।