इंदौर। पश्चिम बंगाल के चुनावी नतीजों का असर इंदौर की राजनीति पर काफी गहरा दिखाई देगा। जिस प्रकार हरियाणा के चुनाव में भाजपा की जीत से कैलाश विजयवर्गीय का कद काफी बढ़ गया था उसी प्रकार पश्चिम बंगाल की पराजय कैलाश विजयवर्गीय के कद को काफी छोटा कर देगी। मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री पद की दावेदारी तो दूर की बात, इंदौर शहर में एकमात्र और सबसे बड़े नेता का ताज संकट में आ सकता है।
कैलाश विजयवर्गीय राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के दावेदार हो जाते हैं
कैलाश विजयवर्गीय के राजनीतिक जीवन के लिए पश्चिम बंगाल का चुनाव कितना महत्वपूर्ण था इस बात का अनुमान केवल इससे लगाया जा सकता है कि यदि भारतीय जनता पार्टी पश्चिम बंगाल का चुनाव जीत जाती तो राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय भारतीय जनता पार्टी में जेपी नड्डा के बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए सबसे मजबूत दावेदार होते।
कैलाश विजयवर्गीय ने पूरी ताकत लगा दी थी
पश्चिम बंगाल का चुनाव कैलाश विजयवर्गीय की लाइफ के लिए सबसे बड़ा टर्निंग प्वाइंट था। यही कारण था कि पार्टी द्वारा दी गई जिम्मेदारी के अलावा कैलाश विजयवर्गीय वह सब कुछ भी कर रहे थे जिसके लिए पार्टी ने उन्हें निर्देशित नहीं किया था। हालात ये थे कि कैलाश विजयवर्गीय ने अपने व्यक्तिगत संबंधों का भी पूरा उपयोग पश्चिम बंगाल के चुनाव के लिए किया था। जिन नेताओं को इंदौर की सेवा करनी चाहिए थी वह कैलाश विजयवर्गीय के कारण पश्चिम बंगाल में ड्यूटी कर रहे थे।