जबलपुर। B.Tech की पढ़ाई करने वाले तीन छात्र हाइटेक चोर निकले हैं। आरोपी NCR माॅडल के ATM मशीन के कैश ट्रे में पेंचकस और चिमटी फंसा कर पैसे निकाल लेते थे। इसके बाद ट्रांजेक्शन को फेल दिखाकर बैंक से क्लेम भी ले लेते थे। तीनों UP की राजधानी लखनऊ स्थित इंजीनियरिंग कॉलेज के हॉस्टल में रहकर पढ़ाई करते हैं। आरोपियों में दो कानपुर और एक वाराणसी का रहने वाला है। तीनों ने बताया कि वे लग्जरी लाइफ जीने के लिए चोरी करते थे।
मजदूरों का एटीएम कार्ड किराए पर लेकर वारदात करते थे
आरोपियों ने MP के जबलपुर, कटनी सहित दिल्ली, गुजरात, हरियाणा, महाराष्ट्र, राजस्थान, बिहार, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश व पश्चिम बंगाल में ATM से लाखों की चोरी कर चुके हैं। एक आरोपी के तीन बैंक खातों की पिछले तीन साल की डिटेल में 45.96 लाख रुपए ट्रांजेक्शन की बात आई है। जबकि आरोपी गरीब मजदूरों और परिचितों का ATM कार्ड लेकर भी वारदात को अंजाम देते थे।
कई राज्यों की पुलिस के लिए सिरदर्द बन गए थे
जबलपुर SP सिद्धार्थ बहुगुणा ने इस हाई प्रोफाइल अंतरराज्यीय गिरोह का पर्दाफाश किया। बताया कि संजीवनी नगर पुलिस ने एक जून को गुलौआ चौक स्थित ATM से सरसी देवसढ़ धारमपुर कानपुर निवासी विजय यादव पिता अमृतलाल यादव (25) को गिरफ्तार किया था। इससे पूछताछ के आधार पर उसके दो फरार साथियों में एक को बाद में कानपुर सर्वोदय नगर निवासी गगन कटियार पिता जानेंद्र सिंह (23) और दूसरे डॉक्टर कॉलोनी पांडेपुर वाराणसी निवासी अजीत कुमार पिता मुरलीधर सिंह (40) को मिर्जापुर (UP) से गिरफ्तार किया गया।
2018 से अपराध कर रहे थे, कभी कोई नहीं पकड़ पाया
आरोपियों के कब्जे से तीन ATM कार्ड दो मोबाइल, पेंचकस, चिमटी और वारदात में प्रयुक्त कार और 65 हजार रुपए कैश जब्त किए गए। वहीं एक और आरोपी की कार भी जब्त की गई है। तीनों आरोपी 2018 से वारदात को अंजाम दे रहे हैं। अकेले विजय यादव के तीन बैंक खातों में 46 लाख रुपए के ट्रांजेक्शन मिला है। आरोपी घटना के लिए एक ATM कार्ड का प्रयोग दो से तीन बार करते हैं। इसके बाद ATM बदल लेते हैं। इसके लिए वह दोस्त, रिश्तेदार, गरीब मजदूरों को 500-100 रुपए देकर उनका ATM लेते थे और वारदात को अंजाम देते थे।
जबलपुर में कैसे पकड़ा गया यह गिरोह
कालीमठ मंदिर के पास आमनपुर मदनमहल निवासी महेंद्र बाथरे के मोबाइल पर एक जून को गुलौआ चौक ATM के फाल्ट होने का लगातार मैसेज आया। वह मौके पर पहुंचा तो वहां आरोपी विजय यादव पेंचकस और चिमटी जैसा औजार डालकर रुपए निकाल रहा था। एक कार रोड पर खड़ी थी। इसमें दो लोग बैठे थे, जो उसे देखते ही फरार हो गए। विजय को उसने दबोच लिया। अपने मैनेजर अजीत कुमार दुबे को बताकर ऑनलाइन फुटेज मंगवाया। फिर ATM में कैश लोडिंग एजेंसी व आडिटर को बुलाकर पता किया तो ATM में 77 हजार रुपए कम थे। विजय को लेकर वह संजीवनी नगर थाने पहुंचा और FIR दर्ज कराई।
इंट्रीग्रल यूनिवर्सिटी लखनऊ से बीटेक की पढ़ाई की है
संजीवनी नगर पुलिस की गिरफ्त में आए विजय यादव ने पूछताछ में बताया कि उसने इंट्रीग्रल यूनिवर्सिटी लखनऊ से बीटेक की पढ़ाई की है। कानपुर में उसके एक दोस्त ने 2018 में एनसीआर मेक ATM क्रमांक EFBJ014803080 को चकमा देकर रकम निकालने और फिर बैंक से क्लेम करने के बारे में बताया था। तब से वे अलग-राज्यों में घूकर अपने दोस्तों के साथ इस वारदात को अंजाम दे रहा था। उसके दोस्त अजीत सिंह व गगन कटियार भी हाॅस्टल में रहते हैं। 31 मई को तीनों मध्य प्रदेश में वारदात को अंजाम देने के लिए लखनऊ से गगन की कार से निकले थे।
तीनों आरोपी लखनऊ से बनारस होकर रीवा पहुंचे। इस दौरान वे बनारस तक कई ATM में वारदात को अंजाम देते रहे। रीवा में चार ATM चेक किए, लेकिन वह एनसीआर कंपनी का नहीं मिला। कटनी से पहले रात तीन बजे एक ढाबा में रुक कर खाना खाया। वहां गाड़ी में तीनों सो गए। इसके बाद 31 मई को सुबह हाईवे होते हुए कटनी पहुंचे। वहां छह ATM चेक किए तो दो एनसीआर कंपनी के मिल गए।
कटनी के एक ATM से अजीत ने राजकुमार के कार्ड से ट्रांजेक्शन के दौरान ATM में पेचकस और चिमटी फंसाकर 20 हजार रुपए निकाल कर चोरी किए। इसके बाद दूसरे ATM पर विजय यादव ने अजीत सिंह की पत्नी वैभवी सिंह नाम के कार्ड से ट्रांजेक्शन किया, और ATM में पेचकस व चिमटी फंसाकर 19 हजार रुपए निकाल लिए। कटनी से रवाना होकर तीन बजे वे जबलपुर पहुंचे। यहां तिलवारा बायपास स्थित सुकून होटल में रुके रहे। रात में वहीं सोए।
1 जून की सुबह 6 बजे तीनों कार से निकले। रास्ते के सभी ATM चेक करते हुए गढ़ा के ATM में 10 हजार रुपए निकाले। फिर गुलौआ चौक में राजकुमार के कार्ड से ATM से ट्रांजेक्शन के दौरान पेचकस और चिमटी फंसाकर 30 हजार रुपए चोरी किए। इसी दौरान विजय यादव पकड़ लिया गया। संजीवनी नगर पुलिस ने विजय यादव को रिमांड पर लेकर पूछताछ की। उसके पास से तीन ATM कार्ड मिले। इसके बाद टीम ने गगन कटियार को कानपुर से और अजीत सिंह को मिर्जापुर गिरफ्तार किया गया।
तीनों आरोपी पिछले तीन साल से इस तरह ATM से पैसे निकाल कर क्लेम ले रहे थे। वे ATM में कार्ड फंसा कर ट्रांजेक्शन के दौरान रुपए विड्राल होने के पहले जहां पैसे निकलता है, वहां पेंचकस और स्टील की साबड़ (स्टील की पती चिमटी) फंसा देते थे। इससे ट्रांजेक्शन की लिंक टूट जाती है। उनके खाते से पैसे तो कट जाते थे, लेकिन ATM से रुपए निकलना शो नहीं होता था। वह रुपए साबड़ और पेंचकश की मदद से बाहर खींच लेते थे। इस तरह ATM से पैसा भी ले लेते हैं और बैंक खाते से कटे हुए पैसे के लिए बैंक को कस्टमर केयर के माध्यम से क्लेम कर पैसा भी वापस पा लेते थे।
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