जब सत्ता निरंकुश हो जाती है तब आम नागरिकों का जीवन कैसा हो जाता है, पालीवाल ब्राह्मणों के गांव कुलधरा की कहानी इसी बात का प्रमाण है। मंत्री सलीम सिंह ने गांव के लोगों को इतना प्रताड़ित किया कि गांव में रहने वाले सभी 1588 ब्राह्मण एक रात में गायब हो गए। वह कहां गए और उनका क्या हुआ आज तक किसी को नहीं पता।
राजस्थान के कुलधरा गांव का संक्षिप्त परिचय
यह गांव राजस्थान में जैसलमेर से करीब 18 किलोमीटर की दूरी पर है। 12वीं शताब्दी के अंत में विस्थापित होकर आए पालीवाल ब्राह्मणों ने इस इलाके में 84 गांव बसाए थे। कुलधरा गांव में 600 ब्राह्मण परिवार रहते थे। इतिहास की किताब ऱेजवी के अनुसार गांव खाली होने से पहले उनकी कुल आबादी 1588 थी। इस गांव के मध्य में माता का मंदिर बनाया गया है। यह गांव आज भी खाली पड़ा हुआ है। ब्राह्मणों के जाने के बाद कोई भी इस गांव में बस नहीं पाया, कहते हैं ब्राह्मणों ने श्राप दिया है।
राजस्थान के कुलधरा गांव की खास बातें
इतिहास के कुछ ग्रंथों में इस गांव की स्थापना तेरहवीं शताब्दी के प्रारंभ में बताई गई है। इस गांव की सबसे खास बात यह है कि आस पास कोई भी जल स्त्रोत ना होने के बावजूद गांव में पानी की कमी नहीं होती थी। पालीवाल ब्राह्मणों ने रेत के कणों में छुपे हुए वर्षा के पानी को संग्रहित करने की तकनीक विकसित की थी। मिट्टी या रेत के कणों के बीच के पानी को कैपिलरी वाटर ( capillary water) कहते हैं।
गांव में 600 घर, मंदिर और बावड़ी आदि का निर्माण कुछ इस प्रकार से किया गया था कि यदि घर के एक विशेष कोने में पहुंचकर कोई व्यक्ति सामान्य आवाज में कोई संदेश प्रसारित करें तो वह पूरे गांव में पहुंच जाता था।
कहते थे कि गांव के आसपास सुरक्षा के लिए पालीवाल ब्राह्मणों ने ध्वनि की कुछ खास प्रकार की तकनीक का उपयोग किया था। दुश्मन आता था तो गांव वालों को उसकी पदचाप सुनाई दे जाती थी। वह सतर्क हो जाते थे।
जैसलमेर के कुलधरा गांव पर मंत्री सलीम सिंह का कहर
कहते हैं कि 13वीं शताब्दी से लेकर 18वीं शताब्दी तक भारतवर्ष की सर्वाधिक विकसित गांव में से एक कुलधरा गांव पर मंत्री सलीम सिंह (कुछ किताबों में सालम सिंह लिखा है) की नजर पड़ गई। वह पूरे गांव को हड़पना चाहता था। उसने ऐलान कर दिया कि यदि गांव की मुखिया की बेटी से उसका विवाह नहीं किया जाएगा तो वह पूरे गांव के लोगों को प्रताड़ित करेगा। पालीवाल ब्राह्मणों को जीवित नहीं रहने देगा। कुलधरा गांव को कारावास बना देगा। ब्राह्मण इस गांव से बाहर नहीं निकल पाएंगे।
कुलधरा गांव पर ब्राह्मणों का श्राप
मंत्री सलीम सिंह के कहर के बाद ब्राह्मणों ने पंचायत बुलाई और फैसला किया की बेटी का विवाह करके मंत्री सालम सिंह को गांव सौंप देने से अच्छा है आत्मसम्मान की रक्षा करते हुए इस गांव को छोड़ दिया जाए। बताते हैं कि मात्र एक रात में पूरा गांव खाली हो गया। जाते समय ब्राह्मणों ने श्राप दिया कि इस गांव में अब कोई बसाहट नहीं हो पाएगी। ना तो मंत्री सालम सिंह और ना ही कोई दूसरा इस गांव में कभी निवास कर पाएगा। तब से यह गांव खाली है। राजस्थान सरकार ने इसे पर्यटन के लिए खोल दिया है। जैसलमेर आने वाले कुछ लोग भूतिया गांव घूमने भी आते हैं।
क्या जैसलमेर के भूतिया गांव का अंधविश्वास किसी ने दूर नहीं किया
भारत की राजधानी दिल्ली में पैरानार्मल सोसाइटी नाम की एक संस्था है जो इस प्रकार की अफवाहों का खंडन करने के लिए तथ्य जुटा दी है एवं लोगों के सामने प्रमाणित करती है। श्री गौरव तिवारी के नेतृत्व में 18 सदस्यों की एक टीम ने अत्याधुनिक उपकरणों के साथ इस गांव में रात्रि के 12 घंटे व्यतीत किए। वापस लौटने के बाद उन्होंने बताया कि गांव में रात्रि के दौरान कुछ इस प्रकार की घटनाएं हुई है जिनके कारण निष्कर्ष के रूप में यह कहा जा सकता है कि इस गांव में निवास करना उचित नहीं होगा। गांव की बावड़ी में आज भी पानी भरा हुआ है।