भोपाल। रटंत तोते वाली कहानी तो याद ही होगी। मध्यप्रदेश में कुछ ऐसा ही हुआ है। पूरे प्रदेश में कांग्रेस पार्टी ने और ग्वालियर में महाराजा ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कोविड-19 प्रोटोकॉल का खुला उल्लंघन किया। कहीं कोई कार्यवाही नहीं की गई। शाम को समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा कि सतर्कता में हम कोई कमी नहीं रखेंगे। सरल सवाल यह है कि, सारे नियम केवल दुकानदारों के लिए क्यों है। नेताओं को सरेआम नियम तोड़ने की छूट क्यों दी जा रही है।
दिनभर नेताओं ने कोविड-19 प्रोटोकॉल का उल्लंघन किया, कोई कार्यवाही नहीं हुई
आज दिनभर मध्यप्रदेश में कांग्रेस पार्टी के नेताओं ने रूल ऑफ़ सिक्स, धारा 144 और सोशल डिस्टेंसिंग का उल्लंघन किया। कांग्रेस के नेताओं ने पेट्रोल की मूल्य वृद्धि के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान भीड़ जमा की और संक्रमण फैलने का अवसर पैदा किया। ग्वालियर में तो सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने खुद उपरोक्त तीनों का उल्लंघन किया और पूरे प्रदेश में कहीं कोई कार्यवाही नहीं हुई।
शाम को मुख्यमंत्री ने कलेक्टरों से कहा: सतर्कता में कोई कमी नहीं रखना
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सभी जिलों को निर्देशित करते हुए कहा कि प्रदेश में कोरोना संक्रमण बहुत कम हो गया है। प्रदेश के 50 जिलों में साप्ताहिक पॉजिटिविटी रेट एक प्रतिशत से नीचे आ गई है और प्रतिदिन नए प्रकरण 400 से नीचे आ गए हैं। रिकवरी रेट 98.2% हो गई है। फिर भी, हमें सतर्कता में थोड़ी भी कमी नहीं करनी है। हर व्यक्ति मास्क लगाए, परस्पर दूरी रखे और अन्य सभी सावधानियाँ बरते।
मुख्यमंत्री के निर्देश छापने के लिए कुछ और पालन करने के लिए कुछ और
आज के घटनाक्रम के बाद एक बार फिर उस आरोप को बल मिलता है जिसमें कहा जाता है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के निर्देश अखबारों में छपने के लिए कुछ और होते हैं और ग्राउंड जीरो पर पालन करने के लिए कुछ और। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की ओर से संक्रमण की रोकथाम वाली कार्रवाई में ढील दी जाती है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान खुद भीड़ को जमा करना पसंद करते हैं। दुकानदारों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाती है लेकिन नेताओं के खिलाफ कोई कदम नहीं उठाया जाता। आपदा प्रबंधन अधिनियम लागू होने के बाद से लेकर अब तक मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की सभाओं में लगातार प्रोटोकॉल का उल्लंघन हुआ।
नेताओं को देखकर जनता लापरवाह होती है
दूसरी लहर में यह साबित हो चुका है कि आम जनता, नेताओं को देखकर लापरवाह होती है। पहली लहर के बाद जनता ने फेस मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग को अपने जीवन का हिस्सा मान लिया था परंतु सबसे पहले नेताओं ने न केवल फेस मास्क उतारा बल्कि खुलेआम बयान भी दिए। खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की सभाओं में सोशल डिस्टेंसिंग का उल्लंघन किया गया। नतीजा दूसरी लहर में हजारों लोगों की मौत हो गई।
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