भोपाल। राज्य शिक्षा केंद्र ने मध्य प्रदेश के 90000 सरकारी स्कूलों के बैंक खाते खाली करने के आदेश जारी कर दिए हैं। इन सभी स्कूलों के बैंक अकाउंट में लगभग 100 करोड रुपए जमा है। राज्य शिक्षा केंद्र पूरे प्रदेश के लिए एक बैंक अकाउंट खोलने जा रहा है जिसमें पूरा पैसा जमा रहेगा। सभी 90000 स्कूलों के खर्चों के लिए इसी अकाउंट से पेमेंट किया जाएगा। कुल मिलाकर सरकारी स्कूलों की स्वायत्तता समाप्त करने के आदेश जारी हो गए हैं।
राज्य शिक्षा केंद्र ने आदेश जारी कर दिए हैं। 30 जून को मध्य प्रदेश के सभी प्राथमिक, माध्यमिक एवं हायर सेकेंडरी स्कूलों के बैंक खातों का बैलेंस जीरो कर दिया जाएगा। यानी स्कूलों के खातों में जमा पैसा राज्य शिक्षा केंद्र के खाते में ट्रांसफर कर दिया जाएगा। अधिकारियों का कहना है कि ऐसा करने से उन्हें अकाउंट मेंटेन करने में सहूलियत होगी। जबकि कर्मचारी नेताओं का कहना है कि ऐसा करने से स्कूलों की स्वायत्तता समाप्त हो जाएगी। ना केवल 90000 स्कूल संचालकों को परेशानी होगी बल्कि बिल पास कराने के लिए रिश्वतखोरी बढ़ जाएगी।
सारा खेल कमीशन का है
कर्मचारी नेता शैलेंद्र उपाध्याय का कहना है कि सारा खेल कमीशन का है। कई डिपार्टमेंट में ऐसा पहले भी हो चुका है। एजुकेशन डिपार्टमेंट में अब तक यह नहीं हुआ था। इस आदेश के बाद सारा फाइनेंशियल सिस्टम सेंट्रलाइज हो जाएगा। 1-1 बिल पास कराने के लिए कमीशन देना पड़ेगा। अभी जो चीज ₹100 की आती है, सिस्टम के सेंट्रलाइजेशन के बाद उसी चीज के दाम ₹125 हो जाएंगे। सरकारी खजाने से ज्यादा पैसा खर्च हुआ और स्कूलों में कम पैसा उपयोग होगा। यदि फायदा होगा तो केवल उसे जो इस सिस्टम के सेंट्रल में होगा।
उल्लेखनीय है कि बिल पास कराने के बदले रिश्वत के मामले मध्यप्रदेश में अक्सर सामने आते रहते हैं। लोकायुक्त पुलिस आए दिन ऐसे अधिकारी एवं कर्मचारियों को गिरफ्तार करती है जो बिल पास कराने के बदले रिश्वत की मांग करते हैं। भ्रष्ट अधिकारी एवं कर्मचारी इसे कमीशन का नाम देते हैं। मध्यप्रदेश में यह 10% से लेकर 25% तक है।
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