आपने अक्सर देखा होगा, कुछ लोग कुछ खास मोबाइल एप्लीकेशन की मदद से आने वाली है हर फोन कॉल को रिकॉर्ड कर लेते हैं। कभी-कभी किसी फोन कॉल को सार्वजनिक कर दिया जाता है। जबकि रिकॉर्डिंग करने और उस कॉल रिकॉर्ड को सार्वजनिक करने से पहले संबंधित व्यक्ति की अनुमति नहीं ली जाती। ऐसी स्थिति में किसी की कॉल को रिकॉर्ड करना एवं उसे सार्वजनिक करना अपराध है। इसे 'व्यक्ति के निजता (एकान्तता) के अधिकार का उल्लंघन' कहा जाता है।
क्या है निजता (एकान्तता) का मौलिक अधिकार:-
निजता का अधिकार संविधान के अनुच्छेद 21 के अंतर्गत एक मूल अधिकार है एवं कोई भी व्यक्ति किसी व्यक्ति के निजी जीवन में हस्तक्षेप नहीं कर सकता हैं। एक नागरिक को अन्य बातों के अतिरिक्त अपनी निजी एकान्तता, अपने परिवार की एकान्तता, विवाह, वंश चलाने, मातृत्व, बच्चा पैदा करने और शिक्षा ग्रहण करने की एकान्तता की रक्षा करने का अधिकार प्राप्त है।
1. कॉल टेप करना निजता (एकान्तता) के अधिकार का उल्लंघन है:-
पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिवर्टीज बनाम यूनियन ऑफ इंडिया- ऐतिहासिक महत्व के फैसले में न्यायमूर्ति श्री कुलदीप सिंह ने न्यायालय का निर्णय सुनाते हुए यह कहा कि निजता का अधिकार अनुच्छेद 21 के अंतर्गत प्रदत्त प्राण ओर दैहिक स्वतंत्रता के अधिकार में सम्मिलित है।
उच्चतम न्यायालय ने यह अभिनिर्धारित किया कि टेलीफोन टेप करना व्यक्ति के निजता के अधिकार में सीधा हस्तक्षेप है एवं राज्य को इसका प्रयोग तभी करना चाहिए जब सार्वजनिक आपात या लोक सुरक्षा के लिए आवश्यक हो। यह निर्णय नागरिकों के अनुच्छेद 21 में गारंटी किए गए एकान्तता के अधिकार को संरक्षण प्रदान करने में बहुत सहायक होगा।
2.आन्ध्र प्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा निर्णायक वाद
【बिना अनुमति के किसी की बाते रिकॉर्ड करना संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन होता है】:- रचाला एम. भुवनेश्वरी बनाम नागफन्दर रचाला मामले में यह निर्णय दिया है कि विवाह विच्छेद पिटिशन में पति द्वारा अपने मामले को प्रमाणित करने में न्यायालय में पत्नी द्वारा अपने मित्र, माता पिता से की गई बात-चीत से सम्बंधित कॉल रिकॉडिंग वाली डिस्क को प्रस्तुत करने को अनुच्छेद 21 के अंतर्गत निजता के अधिकार का उल्लंघन माना है।
न्यायालय ने यह अभिनिर्धारित किया कि बिना पत्नी की अनुमति के उसके मित्रों और माता- पिता से की गई बातचीत को टेप करना निजता(एकान्तता) के अधिकार का उल्लंघन है। पति-पत्नी का संबंध विश्वास के ऊपर आधारित होता है। यदि पति का स्वभाव ऐसा है कि वह अपनी पत्नी की माता-पिता पर संदेह करता है तो विवाह की संस्था ही व्यर्थ हो जाएगी।
उपर्युक्त वाद से यह स्पष्ट होता है कि किसी व्यक्ति की निजी वार्तालाप को बिना उसकी मंजूरी के कॉल रिकॉर्डिंग करना भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन एवं असंवैधानिक होगा। :- लेखक बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
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