पिछले कुछ दिनों से भोपाल के आसमान में मौसम विशेषज्ञों को चकमा देते हुए अचानक बादल घर आते हैं और सुहावनी बारिश करके चले जाते हैं। भोपाल में ज्यादातर बारिश दक्षिण पश्चिम के समुद्रों से आने वाली हवाओं के कारण होती है जिसे 'मानसून' कहते हैं। फिलहाल भोपाल के आसमान पर मानसून नहीं है। सवाल यह है कि फिर भोपाल में बारिश कैसे हो रही है।
मौसम विशेषज्ञ इस तरह की बारिश को लोकल सिस्टम कहते हैं। इसका तात्पर्य है कि भोपाल के तालाब और आसपास की नदी नालों से जो पानी का वाष्पीकरण हुआ था, उसके कारण बादल बने और बरस रहे हैं। बुधवार को भोपाल शहर में 21.2mm बारिश हुई है। लगभग हर रोज थोड़ी-थोड़ी बारिश हो रही है। यह बारिश मूसलाधार नहीं होती और आम जनजीवन को ज्यादा प्रभावित नहीं करती।
धर्म ग्रंथों में लोकल सिस्टम को महत्व दिया गया है
धर्म ग्रंथों में इसी लोकल सिस्टम को महत्व दिया गया है। वर्ष भर चलने वाले यज्ञ अनुष्ठान, घरों में होने वाले अग्निहोत्र और आस्तिक नागरिकों द्वारा प्रतिदिन सूर्य को जल अर्पण किए जाने की प्रक्रिया के कारण ना केवल बादल बन जाते हैं बल्कि उसी स्थान पर बरसते हैं जहां पर उपरोक्त धार्मिक प्रक्रियाएं हो रही होती हैं। यह सभी धार्मिक कार्यक्रम पूरी तरह से वैज्ञानिक है और पर्यावरण एवं बारिश के लिए किए जाते हैं। यह किसी भी क्षेत्र को आत्मनिर्भर बनाते हैं। गुड न्यूज़ है कि भोपाल में धर्म परायण नागरिकों की कमी नहीं हुई है।
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