वैसे तो पति-पत्नी का रिश्ता बहुत पवित्र होता है, कहते हैं स्वर्ग में बनता है एवं 7 जन्मों तक के लिए स्थाई होता है लेकिन बहुत से मामले कुटुम्ब न्यायालय में पत्नी द्वारा पति को तलाक देने के लिए लगाए जाते हैं। विवाद की स्थिति में याचिकाकर्ता को तलाक का आधार प्रमाणित करना पड़ता है लेकिन पत्नी के मामले में भारतीय संविधान का अनुच्छेद 21 कहता है कि महिला को ऐसे पति के साथ रहने के लिए विवश नहीं किया जा सकता है जिससे वह घृणा करती है जानिए निर्णायक वाद।
प्रगति वर्गीज बनाम सिरील जार्ज वर्गीज
मामले में मुंबई उच्च न्यायालय की पूर्णपीठ ने भारतीय तलाक अधिनियम,1869 की धारा 10,17,ओर 20 को इस आधार पर असंवैधानिक घोषित कर दिया कि इनसे महिलाओं के अनुच्छेद 21 के अधीन प्रदत्त 'मानव गरिमा से जीने के अधिकार का उल्लंघन होता है। धारा 10 के अधीन एक ईसाई महिला को पति से तलाक लेते समय क्रूरता के साथ-साथ जारकर्म साबित करना भी एक अनिवार्य शर्त है जो प्रायः कठिन होता है। धारा 17 और 20 में यह नियम है कि जिला जज द्वारा तलाक का आदेश पारित किए जाने के पश्चात भी उच्च न्यायालय के 3 न्यायमूर्तियों की पीठ द्वारा उसकी पुष्टि किया जाना अनिवार्य है।
न्यायालय द्वारा यह अभिनिर्धारित किया कि धारा 10 पत्नी को ऐसे व्यक्ति (पति) के साथ रहने के साथ विवश करती हैं जिससे वह घृणा करती है, जिसने उसके साथ क्रूरता का व्यवहार करके उसे त्याग दिया था। ऐसा जीवन पशुवत जीवन है। वह ऐसे विवाह को विच्छेद करने के अधिकार को इन्कार करता है, जो विवाह असुधार्य टूट गया है। विवाह विच्छेद कराने के अधिकार को इन्कार करना अनुच्छेद 21 के अधीन प्राप्त प्राण के अधिकार का उल्लंघन है। इससे संविधान के अनुच्छेद 14 का भी उल्लंघन होता है जो महिलाओं के प्रति विभेदकारी है।
{उपर्युक्त मामले से स्पष्ट है कि महिलाओं को कोई भी कानून ऐसे पति के साथ रहने के लिए विवश नहीं कर सकता है जिससे वह घृणा करती है या ऐसा पति जो महिलाओं के साथ क्रूरता, अत्याचार आदि करता हो।} :- लेखक बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
कानूनी जानकारी से संबंधित 10 सबसे लोकप्रिय लेख
कोर्ट में गीता पर हाथ रखकर कसम क्यों खिलाते थे, रामायण पर क्यों नहीं है
अंग स्पर्श करने या अश्लील फोटो-वीडियो दिखाने वाले को नजरअंदाज ना करें, इस धारा के तहत सबक सिखाएं
मोबाइल पर ऐसे मैसेज आएं तो इस लिंक के साथ पुलिस को बताए, FIR दर्ज कराएं
इंसान को कुत्ता-कमीना कहा तो किस धारा के तहत FIR दर्ज होगी
कठोर कारावास में कैदी से क्या करवाया जाता है
अंग स्पर्श करने या अश्लील फोटो-वीडियो दिखाने वाले को नजरअंदाज ना करें, इस धारा के तहत सबक सिखाएं
मोबाइल पर ऐसे मैसेज आएं तो इस लिंक के साथ पुलिस को बताए, FIR दर्ज कराएं
इंसान को कुत्ता-कमीना कहा तो किस धारा के तहत FIR दर्ज होगी
कठोर कारावास में कैदी से क्या करवाया जाता है