भोपाल। दिनांक 9/6/2021 को मध्यप्रदेश के शिक्षा विभाग में 1998 से कार्यरत, जो कि कभी शिक्षाकर्मी तो कभी अध्यापक तो कभी शिक्षक के नाम से पदांकित रहते हुए लगातार 23 वर्ष से आर्थिक शोषण का शिकार होते रहे। इन्ही में से किसी की पेंशन होती है तो नाममात्र की 500 रूपये से 1500 रूपये की पेंशन प्राप्त होती है। इस अन्याय से प्रदेश सरकार सहित सभी प्रमुख अधिकारियों को पत्र प्रेषित कर न्याय हेतु पुरानी पेंशन जिसमें अंतिम वेतन का 50% मूलवेतन +डीए देने हेतु आग्रह किया।
जवाब में आवेदन अमान्य कर दिया। इसलिए अब लगभग 50000 ऐसे शिक्षकों में से अलग अलग 10000 शिक्षकों ने उच्च न्यायालय जबलपुर में याचिका दर्ज की इसमें से शिक्षाकर्मी उत्थान समिति के साथ जुड़े 3770 साथी जिनके योगदान से पुरानी पेंशन प्राप्ति और विभिन्न विसंगतियों को दूर करने के उद्देश्य से 24/04/2021 को दर्ज याचिका 8946/2021 की 9 जून 2021 को प्रथम सफलतम सुनवाई हुई जिसमें देश के ख्याति प्राप्त अधिवक्ता माननीय सलमान जी खुर्शीद, नलिन जी कोहली, श्री विक्रमादित्य जी दिल्ली सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता एवं जबलपुर उच्च न्यायालय के युवा अधिवक्ता अर्जुनसिंह जी ने शिक्षाकर्मी से भर्ती 1998 से लेकर 2018 तक जो शिक्षा विभाग में सेवा दी उनको फिर से 2018 में शिक्षा विभाग में नियुक्ति प्रदान कर पूर्व वर्षो की सेवा के लाभ से वंचित कर दिया के संबंध में पक्ष रखा और माननीय चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक साहब व माननीय Sujoy Paul judge की डबल बेंच में सुनवाई हुई।
जिसमें इस प्रकरण को महत्त्व देते हुए सरकार को 5 जुलाई तक का समय दिया और अगली सुनवाई हेतु 5 जुलाई 2021 निर्धारित की, शिक्षाकर्मी उत्थान समिति द्वारा 3770 सदस्यों ने पुरानी पेंशन प्राप्ति के लिए एवं विभिन्न विसंगतियों को दूर करने के लिए इस याचिका से एक पथ तैयार हुआ है जिससे शीघ्र ही पुरानी पेंशन प्राप्त होने के आदेश माननीय उच्च न्यायालय से मिलने की आशा लगाए हैं, इस समय कर्मचारियों के मध्य सबसे अधिक पुरानी पेंशन बहाली हेतु आक्रोश चल रहा है यह प्रकरण भी उसी को लेकर लगाया गया है।
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