नई दिल्ली। सरकारी एवं प्राइवेट कर्मचारियों के लिए न्यूनतम वेतन और राष्ट्रीय न्यूनतम मजदूरी निर्धारित करने के लिए श्रम मंत्रालय अपना स्पष्टीकरण प्रस्तुत किया है। आरोप लगाए जा रहे थे कि श्रम मंत्रालय न्यूनतम वेतन निर्धारण की प्रक्रिया को कम से कम 3 साल लंबा खींचने की कोशिश कर रहा है। मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि वेतन एवं मजदूरी के निर्धारण में देरी करने का उसका कोई इरादा नहीं है।
अर्थशास्त्री अजीत मिश्रा वाले विशेषज्ञ ग्रुप के कारण आरोप लगे
इसी महीने मंत्रालय ने कहा था कि केंद्र सरकार ने प्रसिद्ध अर्थशास्त्री अजीत मिश्रा के नेतृत्व में एक विशेषज्ञ ग्रुप का गठन किया है। इस ग्रुप का उद्देश्य हर सेक्टर के लिए एक न्यूनतम वेतन और देशभर में एक न्यूनतम मजदूरी निर्धारित करना है। यह ग्रुप न्यूनतम वेतन और मजदूरी निर्धारित करने के लिए तकनीकी जानकारी और सिफारिशें देगा। मंत्रालय ने शनिवार को कहा कि तीन वर्ष के कार्यकाल को देखते हुए कुछ वर्गों को ऐसा लग रहा होगा कि सरकार इस मुद्दे को सुलझाने में देरी करना चाहती है, लेकिन यह सच नहीं है।
विशेषज्ञ ग्रुप की सिफारिश प्राप्त होने के बाद निर्धारण होगा
विशेषज्ञ ग्रुप जल्द से जल्द सरकार को अपनी सिफारिश सौंपेगा। ग्रुप की पहली बैठक 14 जून को हो चुकी है और दूसरी 29 जून को प्रस्तावित है। उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय न्यूनतम मजदूरी का अर्थ यह है कि देशभर में किसी का भी वेतन उससे कम नहीं होगा। वहीं, न्यूनतम वेतन हर सेक्टर के लिए अलग-अलग और राष्ट्रीय न्यूनतम मजदूरी से अधिक हो सकता है।
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