नई दिल्ली। भारत के 6 करोड़ कर्मचारियों को प्रभावित करने वाली खबर है। केंद्र सरकार पेंशन अकाउंट और प्रोविडेंट फंड अकाउंट को अलग-अलग करने की तैयारी कर रही है। दलील दी गई है कि ऐसा करने से कर्मचारी जो रिटायर होगा तो उसके पास ज्यादा मात्रा में पैसा आएगा।
मिन्ट की एक रिपोर्ट के अनुसार कोरोनाकाल में कई लोगों की नौकरियां एक साथ चली गई। इसके बाद इन लोगों ने एडवांस में पैसा निकालकर अपनी जरूरतें पूरी की हैं। 31 मई 2021 तक कुल 76.3 लाख लोगों ने कोविड एडवांस के रूप में PF अकाउंट्स से पैसे निकाले हैं। दिनांक 1 अप्रैल 2020 से 3.9 करोड़ क्लेम्स सेटल किए गए हैं। इसमें कोविड एडवांस भी शामिल हैं EPFO ने 19 जून, 2021 तक सेटल किए हैं।
कर्मचारी अपने पेंशन अकाउंट से पैसा नहीं निकाल पाएंगे
हर कर्मचारी के पीएफ खाते में कर्मचारी और उसकी कंपनी की ओर से 12-12% का योगदान होता है। यानी कर्मचारी की पेंशन का 24 फीसदी हिस्सा उसके पीएफ खाते में जमा किया जाता है। इस 24 फीसदी में 8.33 फीसदी हिस्सा कर्मचारी की पेंशन के लिए होता है। बाकी रकम प्रॉविडेंट फंड में जमा की जाती है। कर्मचारी जब अपने अपने प्रॉविडेंट फंड से पैसे निकालते हैं तो उनकी पेंशन का पैसा भी निकल जाता है, क्योंकि दोनों अकाउंट एक ही होते हैं। अब सरकार दोनों अकाउंट अलग करना चाहती है। ऐसा होने पर कर्मचारी अपने पेंशन अकाउंट से पैसे नहीं निकाल पाएंगे।
साल की शुरुआत में बैठक में हुई थी चर्चा
Mint ने एम्पलाई प्रोविडेंट फंड ऑफिस के एक सूत्र के आधार पर बताया कि दोनों अकाउंट को अलग करने की तैयारी पूरी हो चुकी है। ऐसा करने के बाद कर्मचारी अपने प्रोविडेंट फंड अकाउंट से जब चाहे तब जमा रकम को निकाल सकता है लेकिन पेंशन अकाउंट से किसी भी प्रकार की निकासी नहीं हो पाएगी।
अधिकारी ने बताया कि एक इंटरनल सरकारी पैनल की सलाह के बाद इसी साल की शुरुआत में बैठक हुई थी। इस बैठक में EPF और EPS अकाउंट्स को अलग करने चर्चा हुई थी। अधिकारी के अनुसार दोनों खाते अलग होने के बाद पेंशन खाते से पैसे निकालना महंगा पड़ सकता है। पेंशन फंड से पैसे निकालने पर आपकी पेंशन की मात्रा कम हो जाएगी। वहीं, मैच्योरिटी से पहले पेंशन अकाउंट से पैसे निकालने पर कर्मचारी को कई तरह की सुविधाओं से वंचित किया जा सकता है।