भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में भारतीय खाद्य निगम (FCI) के गिरफ्तार रिश्वतखोर अधिकारियों और कर्मचारियों में से एक क्लर्क किशोर मीणा के पास से करोड़ों रुपये की संपत्ति भी मिली है। सीबीआइ ने मंगलवार को मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के 13 ठिकानों पर छापे मारे। इन स्थानों से छापों में बरामद दस्तावेजों के संबंध में पूछताछ के लिए मीणा को 10 जून तक सीबीआइ की रिमांड पर सौंपा गया है। उसके खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का केस दर्ज कर लिया गया है। बाकी तीन रिश्वतखोर न्यायिक हिरासत में हैं।
CBI को पूछताछ में पता चला था कि मीणा ने दो दिसंबर 2016 से 29 मई 2021 तक दो कराेड 93 लाख रूपये का निवेश किया है। इसकी पड़ताल के लिए भोपाल, विदिशा, खंडवा, झाबुआ, नरसिंहपुर, जबलपुर, नांदेड, जलगांव सहित 13 स्थानों पर छापे मारे गए। यहां कुछ निर्माण कंपनियों के परिसर में भी छानबीन की गई है। यह वे स्थान हैं, जिनका मीणा से सीधा संपर्क था या ये लोग किसी न किसी रूप में FCI से संबंधित हैं। यहां से बड़ी संख्या में निवेश से संबंधित दस्तावेज बरामद किए गए हैं। इनके संबंध में पूछताछ जारी है। इससे पहले मीणा के घर से तीन करोड़ एक लाख रुपये बरामद किए गए थे। एक अन्य कर्मचारी संदीप कुमार चौधरी के घर से भी नकदी मिली थी।
FCI के डिविजनल मैनेजर हर्ष हिनोनिया, मैनेजर (अकाउंट) अरुण श्रीवास्तव, मैनेजर (सिक्यूरिटी) मोहन पराते और क्लर्क किशोर मीणा को एक लाख रूपये रिश्वत में लेते हुए सीबीआइ ने गिरफ्तार किया था। यह कार्रवाई गुरुग्राम स्थित सुरक्षा एजेंसी कैप्टन कपूर एंड संस की शिकायत पर की गई थी। मीणा एफसीआइ में बतौर सिक्यूरिटी गार्ड भर्ती हुआ था, लेकिन बाद में क्लर्क के रूप में उसकी नियुक्ति हुई। पदोन्न्त होते हुए वह ग्रेड-वन तक पहुंचा था।
सूत्रों ने बताया कि मीणा के ठिकानों से जो दस्तावेज बरामद हुए हैं, उसके मुताबिक संपत्ति में बड़ी राशि निवेश की गई थी। इसमें भी संपत्ति का मूल्य कागजों में कुछ और दर्शाया गया है, जबकि वास्तविकता अलग है। मीणा ने पत्नी और साले के नाम से कृषि भूमि खरीदी थी। इसके एग्रीमेंट में 21 लाख रूपये में सौदा होना बताया गया है। हालांकि इसी भूमि के लिए मीणा ने 50 लाख रूपये नकद का अतिरिक्त भुगतान किया था।
जानकारी के अनुसार, मीणा ने 95 लाख रुपये एक साहूकार को दिए हैं। इस साहूकार का निर्माण क्षेत्र में भी कामकाज है। 95 लाख स्र्पये के बदले मीणा को प्रतिमाह दो फीसद ब्याज मिलता था। इसमें से 60 लाख रुपये नवंबर 2020 में दिए गए थे। सीबीआइ ने मीणा से लेनदेन करने वालों को भी जांच के दायरे में लिया है। सीबीआइ यह जानकारी भी जुटा रही है कि एफसीआइ के और कौन अधिकारी-कर्मचारी मीणा के संपर्क में रहे हैं।