भारत त्यौहारों और संस्कृति की धरती है। त्यौहार कोई भी हो सारी तैयारियां और काम हमेशा महिलाओं को करने होते हैं लेकिन भारत में 3 दिन तक मनाए जाने वाला एक त्यौहार ऐसा है जिसमें महिलाएं काम नहीं करती बल्कि श्रृंगार करके विश्राम करती हैं। यह त्यौहार उड़ीसा में मनाया जाता है जिसे रज पर्व कहा जाता है।
उड़ीसा का एक त्यौहार जब लोग पैरों में जूते नहीं कपड़े बांधकर चलते हैं
यह त्यौहार जून के महीने में मानसून की शुरुआत के साथ मनाया जाता है। एक प्रकार से मानसून का स्वागत किया जाता है। रज पर्व यानी धरती माता का मेनस्ट्रुअल साइकल। बारिश से साइकल की शुरुआत होती है। इसलिए धरती माता के प्रति कृतज्ञता प्रकट की जाती है। इन 3 दिनों में धरती माता को कोई कष्ट नहीं दिया जाता। लोग धरती माता के सम्मान में पैरों में जूते पहनकर नहीं बल्कि कपड़े बांधकर चलते हैं ताकि धरती माता को कोई कष्ट ना हो। यह प्रक्रिया किसान को खेत के प्रति आस्थावान और संवेदनशील बनाती है।
एक त्यौहार जिसमें पकवान नहीं ड्राई फ्रूट खाए जाते हैं
भारत में कोई भी त्यौहार हो पकवान तो बनते ही है लेकिन रज पर्व एक ऐसा त्यौहार है जिसमें पकवान नहीं बनाए जाते। लोग ड्राई फ्रूट्स खाते हैं। ऐसा इसलिए किया जाता है क्योंकि खेती पर जाने से पहले किसान को पर्याप्त पौष्टिक भोजन एवं एनर्जी प्राप्त हो सके। खेती के दौरान किसान कई बार समय पर भोजन नहीं कर पाते। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article
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