दूध काफी ताकतवर होता है और मां का दूध सबसे ताकतवर होता है। दूध में कैल्शियम होता है जो हड्डियों को मजबूत करता है। मां के दूध से शिशु की रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है। प्रश्न यह है कि जब दूध इतना ताकतवर होता है तो फिर दूध के दांत टूट क्यों जाते हैं। आइए पता लगाते हैं:-
आईपीएस अकादमी कॉलेज ऑफ फार्मेसी इंदौर में पढ़ रहे एआर चौधरी बताते हैं कि जिन्हें हम दूध के दांत कहते हैं उन्हें पर्णपाती दांत या प्राथमिक दांत के रूप में जाना जाता है। यह अस्थाई दांत होते हैं। जैव प्रौद्योगिकी से ग्रेजुएट साधना सिंह ने बताया कि अस्थाई दांत की संख्या 10-10 होती है जबकि स्थाई दातों की संख्या 16-16 होती है। इसीलिए दांतो को बत्तीसी भी कहा जाता है।
डेंटल डॉक्टर अभ्युदय श्रीवास्तव ने बताया कि डार्विन की थ्योरी में इसी प्राकृतिक चयन यानि नेचुरल सिलेक्शन का ज़िक्र है। शिशु में दांतों का विकास गर्भ के अंदर ही होने लगता है। जब वह जन्म लेता है तो मुंह के अंदर जबड़ा बन चुका होता है। जन्म के बाद लगभग 14 वर्ष की आयु तक जबड़ा विकास करता रहता है। सबसे पहले वह 20 दांत बाहर निकलते हैं, जो विकास की प्रक्रिया में सबसे पहले जबड़े के अंदर बन गए थे।
बच्चों के मुंह में जब जबड़े का पूरा विकास (16X16) हो जाता है तब दांतो का निकलना शुरू होता है। दातों के विकास के कारण प्रारंभ में जबड़े से बाहर निकले 20 दांत गिर जाते हैं। यह प्रक्रिया बिल्कुल वैसी ही है जैसी कि पेड़ों के पत्तों के लिए होती है। बसंत के मौसम में जब नए पत्ते आने वाले होते हैं तो पुराने पत्ते झड़ जाते हैं।
आपने सुना होगा ऐसे मनुष्य जिनकी आयु 100 वर्ष से अधिक है और पूरे दांत झड़ चुके हैं, कई बार उनके दांत फिर से निकलने लगते हैं। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article
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