आम को लंगड़ा क्यों कहते हैं, जबकि वह तो सबसे मीठा और रसीला होता है - GK IN HINDI

Bhopal Samachar
भारत में आम की दर्जनों प्रजातियां पाई जाती हैं। शायद पूर्व में एक समय रहा होगा जब बहुत सारे वनस्पति वैज्ञानिकों ने विभिन्न प्रकार के प्रयोग करके आम की नवीन प्रजातियां पैदा कीं। इन सब में सबसे रसीला और मीठा होता है लंगड़ा आम। कहते हैं यह केवल एक फल नहीं बल्कि सिद्ध पुरुष का आशीर्वाद है। इस प्रजाति के आम को लेकर बड़ी ही रोचक कहानी प्रचलन में है।

लंगड़ा आम का पहला पौधा काशी बनारस में रोपा गया था

कहा जाता है कि भगवान शिव के शहर काशी में एक ब्राह्मण, छोटे से शिव मंदिर में महादेव की सेवा किया करता था। मंदिर काफी प्रसिद्ध नहीं था इसलिए भक्तों की संख्या काफी कम थी और ब्राह्मण की गुजर-बसर के योग्य दान एवं दक्षिणा प्राप्त नहीं होती थी। बावजूद इसके वह ब्राह्मण पूरी श्रद्धा के साथ भगवान शिव की सेवा करता था। एक दिन एक साधु महात्मा उस छोटे से मंदिर में आए और मंदिर के उस पुजारी से कुछ दिनों तक मंदिर परिसर में रहने की इच्छा प्रकट की।

विद्वान साधु की संगत का लाभ उठाने के लिए पुजारी ने विनम्रता पूर्वक उनका स्वागत किया। वह साधु एक ऋतु परिवर्तन तक उसी मंदिर में रहे। वह अपने साथ कुछ पौधे लाए थे। उन्होंने मंदिर परिसर में पौधारोपण किया। जब उन आम के पौधों में मंजरियां आने लगी। तब वह साधु मंदिर से चले गए। आम के पेड़ों में फल आना शुरू हुए। बनारस के बगीचों में उगने वाले दूसरे आमों की तुलना में यह आम अलग थे। पककर टूटे हुए आमों को पुजारी ने मंदिर के भक्तों के बीच वितरित कर दिया। आप इतने अधिक स्वादिष्ट थे कि लोग प्रसाद में आम प्राप्त करने के लालच में नियमित रूप से मंदिर आने लगे। 

लंगड़ा आम का नाम लंगड़ा आम कैसे पड़ा

मंदिर के पुजारी का एक पैर टूट गया था। बनारस में उन्हें लंगड़ा ब्राह्मण कहा जाता था। उन्हीं के नाम पर इस आम की पहचान हुई। जिसे लंगड़ा आम कहा जाता है। यह आम सारी दुनिया में एक्सपोर्ट होता है परंतु इसका नाम कभी नहीं बदला गया। लंगड़ा आम इस बात की गारंटी है कि रसीला होगा और काफी मीठा होगा। इस का आनंद उठाने के लिए आपको ना तो इसका जूस निकालना है, ना मैंगो शेक बनाना है, ना ही थाली में सलाद की तरह स्लाइस काटकर रखना है। बस हाथ में लीजिए, पानी से साफ कर लीजिए और लंगड़े आम का आनंद लीजिए। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article

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