भारत के ज्यादातर शहरों में पाश्चुरीकृत दूध का उपयोग होने लगा है। दावा किया जाता है कि पाश्चुरीकृत दूध कीटाणु रहित होता है। पैकेट वाले दूध में किसी भी प्रकार के हानिकारक तत्व नहीं होते। सवाल यह है कि पाश्चुरीकृत दूध का उपयोग कैसे करना चाहिए। बच्चों को पिलाने के लिए पाश्चुरीकरण दूध को प्राचीन पद्धति के अनुसार उबालना चाहिए या नहीं।
गाय या भैंस का दूध बिना उबाले बच्चों को पिलाना सही है या नहीं
ग्रामीण क्षेत्रों में गाय अथवा भैंस के दूध को बिना उबाले बच्चों को पिला दिया जाता है। माना जाता है कि ऐसा करने से दूध की पूरी ताकत बच्चों को मिलती है। दूध को उबालने से उसके पोषक तत्व खत्म हो जाते हैं। डॉक्टर सत्येंद्र उपाध्याय कहते हैं कि निश्चित रूप से यह तर्क बिल्कुल सही है लेकिन केवल उस स्थिति में जब गाय अथवा भैंस को भोजन के लिए नियमित रूप से जंगल में ले जाया जाता हो। यदि उसे बाजार में मिलने वाला पशु आहार खिलाया जाता है और स्वस्थ रखने के लिए दवाइयों का उपयोग किया जाता है तो फिर उसके दूध में 100% शुद्धता की गारंटी नहीं दी जा सकती। ऐसा दूध फायदे की जगह नुकसान कर सकता है।
पाश्चुरीकृत दूध क्या होता है और कैसे तैयार किया जाता है
दूध को कीटाणुओं से मुक्त करने की प्रक्रिया का नाम है पाश्चुरीकरण। इस प्रक्रिया के दौरान दूध को संग्रहित करके एक विशेष तापमान पर निर्धारित समय के लिए गर्म किया जाता है और फिर तुरंत ठंडा कर दिया जाता है। पाश्चुरीकरण की प्रक्रिया के दौरान दूध को केवल उतने ही तापमान में गर्म किया जाता है जिसमें कीटाणु नष्ट हो जाए लेकिन दूध में पोषक तत्व बने रहें। उबालने की प्रक्रिया के दौरान कीटाणुओं के साथ-साथ पोषक तत्व भी नष्ट हो जाते हैं। यदि आपके पास विश्वास करने के लिए पर्याप्त कारण हैं कि जिस संस्था का पाश्चुरीकृत दूध आप खरीद रहे हैं वह पाश्चुरीकरण की प्रक्रिया का पालन करते हैं तो निश्चित रूप से आप बच्चों को पैकेट से निकालकर बिना उबाले दूध पिला सकते हैं।
पाश्चुरीकृत दूध को उबालना सही है या गलत
भारत के ज्यादातर घरों में पाश्चुरीकृत दूध खरीदा तो जाता है लेकिन उसका उपयोग पुरानी पद्धति से किया जाता है। पैकेट से दूध को निकाल कर उबाल लिया जाता है, फिर उसका तापमान सामान्य होने का इंतजार किया जाता है और अंत में फ्रिज के अंदर स्टोर कर दिया जाता है। ऐसा करने से पाश्चुरीकृत दूध खरीदने का औचित्य ही खत्म हो जाता है। यदि आपको लगता है कि पाश्चुरीकरण की प्रक्रिया में कुछ गड़बड़ी हो सकती है तब भी दूध को उबालना नहीं चाहिए बल्कि हल्की आंच पर उसे गर्म करना चाहिए। ताकि केवल कीटाणु नष्ट हो, पोषक तत्व बने रहे। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article
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