यदि हम अपनी एक आंख को बंद करके देखते हैं तब भी हमें पर्याप्त दृश्य दिखाई देता है। आंखों की तकनीक के आधार पर बनाई गई कैमरे का लेंस भी एक ही होता है और काफी अच्छा छायाचित्र बनता है। सवाल यह है कि जब एक आंख से काम चलता है तो फिर मनुष्य के शरीर में दो आंखें क्यों होती है। क्या दूसरी आंख एक्स्ट्रा होती है, यदि एक आंख खराब हो जाए तो दूसरे से काम लिया जा सकता है। या फिर इसके पीछे कोई साइंटिफिक लॉजिक है। आइए पता करते हैं:-
यह बात बिल्कुल सही है कि एक आंख अपने आप में पर्याप्त और पूरा काम कर सकती है। उसकी मदद से आपको सभी रंग दिखाई देते हैं। चित्र भी पूरा बनता है। आप किसी भी बोर्ड को पढ़ सकते हैं। कोई कलर ब्लाइंडनेस नहीं होती लेकिन फिर भी केवल मनुष्य ही नहीं बल्कि पृथ्वी पर लगभग सभी जीव जंतुओं की आंखों की संख्या दो होती है।
2 आखों के कारण ही बाइनोकुलर दृष्टि बनती है
दरअसल, दो आंखों के कारण ही विजुअल परसेप्शन होता है। एक आंख के कारण मोनोकुलर दृष्टि स्थित होती है जबकि दो आंखों के कारण बाइनोकुलर दृष्टि। किताबों में इसके बारे में काफी कुछ डिटेल्स में बताया गया है लेकिन यदि सरल शब्दों में कहें तो एक आंख आपको सामने वाली वस्तु का चित्र दिखाती है जबकि दूसरी आंख यह पता लगाने में मदद करती है कि जो वस्तु दिखाई दे रही है वह आप से कितनी दूरी पर है।
जरा सोचिए, आपको कोई चीज दिखाई देती है परंतु उसकी दूरी का अनुमान नहीं लगता तो फिर क्या होता। सड़क पर धड़ाधड़ एक्सीडेंट होते? नहीं, क्योंकि लोग घर से सड़क तक पहुंची नहीं पाते। लेकिन एक आंख वाले तो घर भी नहीं बना पाते। वह जहां जन्म लेते वहीं पर प्राकृतिक अवस्था में पड़े रहते हैं क्योंकि ना तो शिकार करने के लिए दौड़ पाते और ना ही फलों को तोड़ कर खा पाते। कुल मिलाकर, यदि दो आंखें नहीं होती तो मनुष्य का विकास ही नहीं होता। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article
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