दुनिया जानती है कि भारत का वनस्पति विज्ञान बेहद समृद्ध और उपयोगी है, लेकिन कुछ भारतीय नागरिक उसे मान्यता नहीं देते। यूनिवर्सिटी ऑफ मिसौरी कोलंबिया के शोधकर्ताओं ने इस बात का पता लगाया कि पेड़-पौधे मानव समाज की गतिविधियों पर किस प्रकार की प्रतिक्रिया करते हैं। यदि आप किसी पेड़ से प्यार भरी बातें करते हैं या फिर उसके अस्तित्व को कोसते हैं तब पेड़ क्या प्रतिक्रिया करता है। आइए पढ़ते हैं:-
पेड़-पौधे स्वाद, स्पर्श और हवा की गंध महसूस कर सकते हैं
यूनिवर्सिटी ऑफ मिसौरी कोलंबिया द्वारा किए गए अध्ययन में पाया गया कि इल्लियां जब पेड़ पौधों के पत्तों को खाती हैं तो पौधे उनकी आवाज को समझते हैं और प्रतिक्रिया करते हैं। एक अन्य रिसर्च के अनुसार यदि किसी बगीचे के एक पेड़ की जड़ में रेडियो एक्टिव कार्बन डालते हैं तो वह कार्बन उसके पास स्थित पेड़ में भी पहुंच जाता है। यानी पेड़-पौधे मिल बांट कर भोजन करते हैं। किसी एक को मिलता है तो वह दूसरे को दे देता है। इतना ही नहीं अध्ययन में यह भी पाया गया कि पेड़-पौधे स्वाद, मनुष्यों एवं जीवो का स्पर्श, हवा की गंध महसूस करते हैं। आपने सुना भी होगा वैज्ञानिक खेती करने वाले लोग अपने बगीचों में मधुर संगीत चलाते हैं।
डॉ॰ (सर) जगदीश चन्द्र बसु ने साबित किया कि पेड़ों को दर्द होता है
डॉ॰ (सर) जगदीश चन्द्र बसु ने वनस्पति विज्ञान में कई महत्वपूर्ण खोज की थी। उस समय उनकी रिसर्च का पश्चिमी देशों के वैज्ञानिकों ने काफी मजाक उड़ाया था। बावजूद इसके रॉयल साइंटिफिक सोसाइटी में सर जगदीश चंद्र बसु ने यह प्रमाणित कर दिया था कि पेड़-पौधे कितने संवेदनशील होते हैं और मनुष्यों के व्यवहार से कितने प्रभावित हो जाते हैं। सर जगदीश चंद्र बसु ने Optical lever बनाया था जिसके माध्यम से पता चला कि पत्तियों को तोड़ने पर पेड़ को कष्ट होता है। उनके एक इंस्ट्रूमेंट crescograph से पता चल जाता है कि पेड़-पौधे भावनात्मक रूप से कितने प्रभावित हो रहे हैं।
आपको जानकर आश्चर्य होगा कि पेड़ उस व्यक्ति पर सबसे ज्यादा विश्वास करते हैं जिसने उसका रोपण किया है। पौधारोपण करने के वर्षों बाद यदि आप उस पेड़ के पास जाते हैं तो पेड़ को काफी खुशी होती है। कई बार पत्तियों को हिला कर वह अपनी खुशी जाहिर करता है। एक और बड़ी मजेदार बात यह है कि पृथ्वी पर मौजूद किसी भी जीव की तुलना में पेड़-पौधे इंसानों पर ज्यादा विश्वास करते हैं और उनके साथ रहने में आनंद का अनुभव करते हैं।
पियरे पॉल साविन नामक वैज्ञानिक ने अमेरिका में एक रिसर्च करके बताया कि यदि आप पेड़ से मधुर संबंध स्थापित करने के बाद उसे कोई काम करने के लिए कहते हैं तो वह यथाशक्ति आपका सहयोग करने की कोशिश करता है। मध्य प्रदेश का शिवपुरी जिला कुछ वर्षों पूर्व तक एक घना वन क्षेत्र था। यहां पर एक वनस्पति विशेषज्ञ ने अपने प्रयोगों पर पूरा जीवन व्यतीत किया। कई लोगों ने उन्हें पेड़-पौधों के साथ बात करते हुए देखा और चमत्कारी साधु सन्यासी मान लिया। उन्होंने कोई प्रतिक्रिया नहीं की। वह महात्मा नारायण दास जी के नाम से प्रख्यात हुए। आज भी उनकी समाधि उनके द्वारा लगाए गए विशेष बगीचे में हैं। हालांकि अब बगीचा नहीं है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article
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