दुनिया में कोल्ड ड्रिंक्स के दीवानों की कमी नहीं है। कुछ लोग प्यास बुझाने के लिए तो कुछ लोग नाश्ते के साथ कोको कोला पीना पसंद करते हैं। कई सारे होटल एवं रेस्टोरेंट में स्नेक्स के साथ कोकोकोला कंप्लीमेंट्री होती है। ज्यादातर कोको कोला बोतल का कैप लाल रंग का होता है परंतु कुछ बोतलों में पीले रंग का कैप होता है। जिज्ञासा से प्रश्न का जन्म होता है कि ऐसा क्यों होता है। क्या पीले रंग के कैप वाला कोकोकोला नकली होता है या फिर कोई और बात है। आइए जानते हैं:-
कंपनी की ओर से आधिकारिक रूप से बताया गया है कि बोतल के कैप से उसके अंदर मौजूद ड्रिंक की क्वालिटी का पता चलता है। लाल रंग के कैप वाले कोकोकोला में कॉर्न सिरप होता है। यह कोल्ड्रिंक पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा पसंद किया जाता है इसलिए किसी भी दुकान के स्टॉक में सबसे ज्यादा लाल रंग के कैप वाला कोकोकोला दिखाई देता है। लाल रंग का कैप इस बात को प्रमाणित करता है कि बोतल के अंदर जो ड्रिंक है उसमें कॉर्न सिरप का उपयोग किया गया है।
पीले कैप वाला कोकोकोला उपवास के लिए बनाया गया है
पीले रंग के कैप वाले कोको कोला को कोशर कोक (kosher coke) कहा जाता है। इसका प्रोडक्शन खास तौर पर यहूदियों के लिए किया गया है। बसंत के मौसम में जब पतझड़ आता है तब यहूदियों का एक धार्मिक त्योहार Passover मनाया जाता है। इस त्यौहार में गेहूं, जई, राई, जौ, मक्का, चावल और बीन्स खाना वर्जित होता है। क्योंकि कोको कोला में कॉर्न सिरप होता है इसलिए त्यौहार के दौरान यहूदी कोको कोला पीना बंद कर देते हैं। कंपनी ने उनके लिए खास प्रोडक्ट बनाया जिसमें कॉर्न सिरप को हटाकर उसकी जगह चीनी को शामिल किया गया। इसकी पहचान के लिए बोतल पर पीले रंग का ढक्कन लगा दिया गया। इस धक्कन पर "O-U-P" सील लगी होती है जो यह प्रमाणित करती है कि बोतल के अंदर मौजूद ड्रिंक में कॉर्न सिरप नहीं है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article
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