ग्वालियर। मध्य प्रदेश के ग्वालियर में हाई कोर्ट की एकल पीठ ने आर्य समाज मंदिर में नाबालिग का विवाह कराने के मामले में पुलिस को कार्रवाई के लिए स्वतंत्र किया है। पुलिस चाहे तो याचिकाकर्ता व आर्य समाज मंदिर के खिलाफ कार्रवाई कर सकती है। याचिका का निराकरण कर दिया।
मुरैना जिले के मामचौन गांव निवासी रिंकू ने 2020 में एक नाबालिग से मुरार के आर्य समाज मंदिर में विवाह रचाया था। बागचीनी थाना पुलिस ने रिकूं के खिलाफ दुष्कर्म, अपहरण, पाक्सो एक्ट के तहत केस दर्ज किया था। उसे पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। हाई कोर्ट में जमानत याचिका दायर की। शासन की ओर से विरोध किए जाने पर जमानत याचिका खारिज कर दी, लेकिन आर्य समाज मंदिर में नाबालिग का विवाह कैसे हुआ, मामले को संज्ञान में ले लिया। उप महाधिवक्ता राजेश शुक्ला ने तर्क दिया कि पुलिस को रिकार्ड में हेराफेरी का संदेह था। मंदिर में एक नाबालिग का विवाह कराया गया।
कोर्ट के आदेश पर ग्वालियर पुलिस ने मुरार के आर्य समाज मंदिर का रिकार्ड सीज किया गया। नाबालिग को बालिग दिखाने के लिए आधार कार्ड हेराफेरी की गई। नाबालिग को बालिग बताया गया, लेकिन आर्य समाज मंदिर ने शादी कराने से पहले अपने स्तर पर इस हेराफेरी की पड़ताल नहीं की। पुलिस अधीक्षक की रिपोर्ट आने के बाद नवंबर 2020 में याचिका पर अंतिम बहस हुई। हाई कोर्ट ने फैसला सुरक्षित कर लिया था। 7 जून 2021 को इस याचिका में कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया। कोर्ट ने आदेश दिया है कि रिंकू व आर्य समाज मंदिर पर कार्रवाई के लिए स्वतंत्र है।