ग्वालियर। एक विवादित बयान था 'कि दूसरी लहर में कोरोनावायरस के कारण ज्यादा मौतें नहीं हुई बल्कि मेडिकल मिसमैनेजमेंट और दवाइयों के कारण ज्यादा लोग मर गए।' इस बयान की काफी निंदा हुई थी परंतु धीरे-धीरे जो खुलासे हो रहे हैं उससे संदेह होता है कि दूसरी लहर में नकली दवाइयों के कारण मरीजों के मरने वालों की संख्या काफी ज्यादा रही होगी। रेमडेसिविर इंजेक्शन के बाद अब टैबलेट फैवीमैक्स के बारे में पता चला है कि वह भी निकली थी। अकेले ग्वालियर में मरीजों को लगभग 40000 टेबलेट खिलाई जा चुकी है।
यह खुलासा तब हुआ जब ओडिशा में नकली फेवीमैक्स की खेप मिली। वहां औषधि विभाग ने जांच कराई, तो जो कंटेंट दवा के रैपर पर लिखे हैं, वह उसमें हैं ही नहीं। इस कारण इसे नकली माना गया है। पता चला कि इस दवा के 40 हजार पत्ते ग्वालियर में सप्लाई किए गए हैं। सूचना मिलने के बाद ड्रग विभाग हरकत में आ गया। एक मेडिकल स्टोर से 250 पत्ते मिल गए हैं। 320 टैबलेट सैंपल लेकर भोपाल जांच के लिए भेजी गई है। अब रिपोर्ट आने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है।
केवल ओडिशा में फेवीमैक्स टेबलेट की जांच की गई
हिमाचल प्रदेश की एक कंपनी ने फेवीमैक्स दवा बनाकर कोरोना के इलाज के लिए देशभर में सप्लाई की है। हाल ही में ओडिशा में इस मामले में किसी ने शिकायत की थी कि अभी वहां जो फेवीमैक्स दवा मिल रही है, वह नकली है। इस पर वहां के औषधि विभाग ने छानबीन की। बाजार में मिल रही दवा को निगरानी में लेकर सैंपलिंग कराई। इसमें पाया गया कि दवा के पैकेट पर जो कंटेंट लिखे हैं, उनमें से कुछ कंटेंट टैबलेट में नहीं हैं। इस पर वहां काफी मात्रा में यह दवा जब्त की।
ओडिशा के औषधिय विभाग ने ग्वालियर प्रशासन को दी जानकारी
जांच के दौरान पता चला कि वहां से ये दवा ग्वालियर में सप्लाई की गई है। इस पर वहां के औषधि विभाग ने ग्वालियर प्रशासन को सूचना दी। ड्रग इंस्पेक्टर दिलीप अग्रवाल ने बताया, पता चला कि दवा के 40 हजार पत्ते ग्वालियर में महादेव मेडिकल एंड सर्जिकल पर सप्लाई किए गए हैं। इसके बाद ड्रग इंस्पेक्टर अग्रवाल ने महादेव मेडिकल पर छापा मारा। काफी हद तक दवा बिक चुकी थी। मेडिकल से इस दवा के 250 पत्ते निगरानी में लिए गए हैं। साथ ही, 320 टैबलेट को सैंपल में लेकर भोपाल भेजा गया है।
24 से 30 अप्रैल के बीच आए थे यह पत्ते
पता लगा है कि 24 से 30 अप्रैल के बीच महादेव मेडिकल पर इस दवा के 40 हजार पत्ते ग्वालियर आए थे। जिसमें से 500 पत्ते उन्होंने तत्काल वापस कर दिए हैं। यहां से ड्रग विभाग ने 250 पत्ते बरामद किए हैं।
जांच के बाद ही कुछ कहा जा सकेगा
ड्रग इंस्पेक्टर का कहना है कि मेडिकल स्टोर से जो दवा मिली, उसे जब्त कर सैंपल लिए हैं। सैंपल भोपाल भेज दिए गए हैं। रिपोर्ट आने पर ही पता लगेगा कि यह दवा असली है या नकली।
क्या काम आती है टैबलेट
टैबलेट में विटामिन B-9, फोलिक एसिड, आयरन व जिंक होते हैं। जो रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में सहयोग करते हैं। इस कारण यह दवा कोरोना मरीजों को दी जा रही थी। एक पत्ते में 10 टैबलेट होती हैं। एक पत्ते की कीमत करीब 70 से 80 रुपए होती है।
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