इंदौर शहर भारत के उन प्राचीन शहरों में से एक है जहां बड़े पैमाने पर व्यापार हुआ करता था और आज भी होता है। इंदौर शहर की पहचान होलकर राजवंश से है। ज्यादातर लोग इस शहर को होलकर का इंदौर कहते हैं लेकिन इतिहास की किताब बताती है कि महाराष्ट्रीयन ब्राह्मण महानायक बाजीराव पेशवा ने इंदौर को जीतकर होलकर को नियुक्त किया था।
इंद्रेश्वर मंदिर के कारण पड़ा इंदौर शहर का नाम
इंदौर को उज्जैन से ओंकारेश्वर की ओर जाने वाले नर्मदा नदी घाटी मार्ग पर एक व्यापार बाजार के रूप में स्थापित किया गया था। सन 1741 में इसी स्थान पर भव्य इंद्रेश्वर मंदिर का निर्माण किया गया। इसी मंदिर के कारण क्षेत्र का नाम पहले इंदूर और बाद में इन्दौर प्राप्त हुआ। आज इंदौर शहर केवल भारत ही नहीं बल्कि दुनिया भर में किसी पहचान का मोहताज नहीं है। इंदौर के लोग सारी दुनिया में कारोबार कर रहे हैं।
बाजीराव पेशवा ने मल्हार राव होलकर को इंदौर का का जमीदार बनाया था
विकिपीडिया के अनुसार मराठा काल में बाजीराव पेशवा ने इस क्षेत्र पर अधिकार प्राप्त कर, अपने सेनानायक मल्हारराव होलकर को यहां का जमींदार बना दिया, जिन्होंने होलकर राजवंश की नींव डाली। होलकर वंश का शासनकाल भारत के स्वतंत्र होने तक रहा। यह मध्य प्रदेश में शामिल होने से पहले ब्रिटिश सेंट्रल इंडिया एजेंसी और मध्य भारत की ग्रीष्मकालीन राजधानी (1948–56) भी था।