जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने जबलपुर कलेक्टर के खिलाफ सख्त टिप्पणी की है। मामला एक व्यक्ति के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून की कार्रवाई का है। कमिश्नर ने कलेक्टर के आदेश को निरस्त कर दिया था। हाईकोर्ट ने कहा कि कलेक्टर ने विवेक का इस्तेमाल किए बिना रासुका की कार्रवाई की। हाईकोर्ट ने जबलपुर कलेक्टर पर ₹20000 का जुर्माना लगाया है।
जबलपुर रज्जन यादव रासुका विवाद का विवरण
जबलपुर के डुमना रोड स्थित ककरतला में रहने वाले रज्जन यादव पर विभिन्न आपराधिक प्रकरणों के एवज में कलेक्टर ने जिला दंडाधिकारी के अधिकार से 16 नवंबर 2016 को जिला बदर की कार्रवाई की थी, इसके बाद पुलिस अधीक्षक ने 26 मार्च 2018 को याचिकाकर्ता के खिलाफ एनएसए की कार्रवाई की अनुशंसा की, कलेक्टर ने 29 सितंबर 2018 को रज्जन के खिलाफ एनएसए की कार्रवाई के तहत जबलपुर सहित मंडला, डिंडोरी, नरसिंहपुर, सिवनी, कटनी, दमोह और उमरिया जिले में जिला बदर का आदेश पारित किया।
कमिश्नर ने कलेक्टर का आदेश निरस्त कर दिया था
इस आदेश के खिलाफ संभागायुक्त के समक्ष अपील पेश की गई, संभागायुक्त ने यह कहते हुए कलेक्टर का आदेश निरस्त कर दिया कि उन्होंने इस दौरान याचिकाकर्ता को सुनवाई का अवसर नहीं दिया और पुलिस कर्मियों के बयान भी दर्ज नहीं किए।
कलेक्टर ने आदेश जारी करते समय अपने विवेक का इस्तेमाल नहीं किया: हाईकोर्ट
हाईकोर्ट ने अपने फैसले में एक विशेष टिप्पणी भी कि है उन्होंने कहा है कि कलेक्टर ने आदेश जारी करते समय अपने विवेक का इस्तेमाल नहीं किया। जिला दंडाधिकारी के आदेश से स्पष्ट है कि उन्होंने दुर्भावनावश यह कार्रवाई की है। हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि इसके पहले भी कलेक्टर ने जो जिला बदर का आदेश पारित किया था। उससे स्पष्ट है कि उन्होंने प्रकिया पालन में केवल औपचारिकता निभाई है, कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि पूर्व आदेश की कॉपी को कट और पेस्ट करने और अतार्किक फैसले को स्वीकृति नहीं दी जा सकती। ऐसे में इस पूरे मामले में हाईकोर्ट ने कलेक्टर पर ही 20 हजार का जुर्माना लगा दिया।