जबलपुर। जबलपुर संभाग के कमिश्नर बी चंद्रशेखर का कहना है कि हड़ताल कर रहे जूनियर डॉक्टरों के इस्तीफे का कोई महत्व नहीं है क्योंकि वह शासकीय कर्मचारी नहीं है। कमिश्नर ने जूनियर डॉक्टरों को चेतावनी देते हुए कहा है कि हाईकोर्ट की समय सीमा समाप्त हो गई है। जूनियर डॉक्टर काम पर वापस लौट आएं।
हाईकोर्ट ने सरकार को सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए हैं
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने शिवराज सिंह सरकार को महामारी के संकट काल में इलाज बंद हड़ताल कर रहे जूनियर डॉक्टरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। इसी के चलते हैं कुछ डॉक्टरों के पंजीयन निरस्त करने की कार्रवाई शुरू की गई है। इधर डॉक्टरों का कहना है कि मांग पूरी होने तक उनकी हड़ताल खत्म नहीं होगी।
वे हमसे बात नहीं करना चाह रहे हैं: चिकित्सा शिक्षा मंत्री
मध्य प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास कैलाश सारंग ने कहा कि हमने उनसे बात की और बातें मानी भी। वे हमसे बात नहीं करना चाह रहे हैं। हाईकोर्ट ने कहा है कि हड़ताल असंवैधानिक है, वे काम पर लौटें। उन्हें हाईकोर्ट के निर्णय का पालन करना चाहिए और सुनिश्चित करना चाहिए कि मरीज का अहित न हो।
प्रैक्टिकल का पैसा क्यों देना, स्टाइपेंड कोई अधिकार नहीं
संचालक चिकित्सा शिक्षा डॉ. उल्का श्रीवास्तव का कहना है कि हड़ताल करने वाले जूनियर डॉक्टर मूल रूप से मेडिकल कॉलेजों के विद्यार्थी हैं। मरीजों का इलाज करके वह अनुभव हासिल करते हैं। यह उनके लिए एक प्रैक्टिकल है और प्रैक्टिकल के लिए पैसा देना अनिवार्य नहीं होता।