कमलनाथ सर, मतलब के मुद्दा उठाया करो, वैक्सीन के आंकड़ों में कोई दम नहीं - Khula Khat

Bhopal Samachar
शैलेंद्र चौधरी।
जीवन भर गांधी परिवार की राजनीति करते रहे कमलनाथ अचानक मध्य प्रदेश राज्य की राजनीति में आ गए हैं। खुद को राजनीति का मिस्टर मैनेजमेंट कहते हैं लेकिन मैनेजमेंट के मामले में कई बार फेल हुए हैं। मध्यप्रदेश में वैक्सीन के आंकड़ों को लेकर हाय तौबा मचा रखी है। जबकि इस तरह के आंकड़े हमेशा उत्साहवर्धक होते हैं। आम जनता के लिए लाभदायक हैं।

वैक्सीनेशन में आंकड़ों की बाजीगरी फायदेमंद कैसे है 

मध्य प्रदेश की ज्यादातर आबादी डिजिटल मीडिया नहीं बल्कि सोशल मीडिया से कनेक्ट है। भोपाल समाचार डॉट कॉम का पाठक वर्ग बेतुके शोर-शराबे का समर्थन नहीं करता। इसलिए इस मंच पर खुलकर बात की जा सकती है। मान लेते हैं कि कमलनाथ सर ने जो आंकड़े बताए, वह सही है। शिवराज सिंह चौहान सरकार ने 4 दिन के वैक्सीनेशन वाले आंकड़ों को जमा करके 1 दिन में प्रदर्शित कर दिया। ऐसा करने से एक रिकॉर्ड सामने आया। कमलनाथ सर कहते हैं कि यह गलत है। जबकि व्यवहारिक दृष्टि से यह काफी सही है। इससे लोगों में उत्साहवर्धन होता है। वह लोग जो वैक्सीनेशन के लिए इंकार कर रहे हैं, इतना बड़ा आंकड़ा देखने के बाद वैक्सीन लगवाने के लिए सहमत हो जाएंगे। सब जानते हैं कि जनता सब के पीछे चलती है। यह आंकड़े बताते हैं कि सब वैक्सीन लगवा रहे हैं। यदि कोई बाजीगरी हो भी गई है तो बुराई क्या है।

कमलनाथ सर, वैक्सीनेशन में घोटाला तलाशिए 

दरअसल कांग्रेस पार्टी के नेता मध्यप्रदेश में पत्रकारों द्वारा किए गए खुलासों पर शोर मचाने के अभ्यस्त हो गए हैं। लगातार 15 साल तक सत्ता से दूर रहने और एक बार बड़ी अपमानजनक स्थिति में सत्ता से बाहर निकाल दिए जाने के बावजूद कांग्रेस पार्टी के नेता विपक्ष की राजनीति सीख नहीं पाए हैं। कितना अच्छा होता कि कांग्रेस पार्टी विपक्षी दल की भूमिका का ईमानदारी से निर्वाह करती और शिवराज सरकार द्वारा प्रस्तुत किए गए आंकड़ों का अपने स्तर पर ऑडिट करने के बाद बताती कि सचमुच 17 लाख लोगों को टीके लगे हैं या नहीं। कहीं ऐसा तो नहीं कि मात्र 10 लाख लोगों को वैक्सीन लगाई गई और 17 लाख बताई गई। यदि रिकॉर्ड बनाने के लालच में कोई थोड़ी ज्यादा मेहनत कर रहा है तो इसमें बुराई क्या है। 

शिवराज सिंह होते तो नाक में दम कर चुके होते 

मध्य प्रदेश में सबसे बड़ा मुद्दा पेट्रोल एवं डीजल के लगातार बढ़ते हुए दाम हैं। इस मामले में कांग्रेस पार्टी कोई प्रभावी एक्टिविटी नहीं कर पाई है। 2-4 बयान दे देने से काम नहीं चलता, लेकिन सबसे बड़ी समस्या यह है कि कांग्रेस पार्टी के सर्वाधिकारी कमलनाथ जमीन पर संघर्ष करने की स्थिति में नहीं रहते। उन्हें राउंड टेबल मीटिंग की आदत है। धरना और भूख हड़ताल उन्होंने कभी किया ही नहीं। यदि आज दिनांक की स्थिति में मध्यप्रदेश में कांग्रेस पार्टी की सरकार होती है और शिवराज सिंह चौहान नेता प्रतिपक्ष होते तो अब तक सरकार की नाक में दम कर चुके होते हैं। जनता के बीच ऐसा माहौल बनाते कि सरकार को मजबूरी में टैक्स कम करने पड़ते हैं। 

23 जून को सबसे ज्यादा पढ़े जा रहे समाचार


महत्वपूर्ण, मददगार एवं मजेदार जानकारियां

:- यदि आपके पास भी हैं ऐसे ही मजेदार एवं आमजनों के लिए उपयोगी जानकारी तो कृपया हमें ईमेल करें। editorbhopalsamachar@gmail.com

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!